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वर्षा किसे कहते है?

बारिश की बूंदों के रूप में जो तरल (द्रव) होता है वह पानी होता है, जो वायुमंडलीय जल वाष्प से संघनित होता है और तत्पश्चात गुरुत्वाकर्षण के कारण गिरने के लिए पर्याप्त रूप से भारी हो जाता है। “वर्षा” जल चक्र का एक प्रमुख घटक है जो पृथ्वी पर अधिकतर ताजे पानी को जमा करने के लिए जिम्मेदार है।

वर्षा क्या है? इसके कितने प्रकार होते हैं?

वर्षा (Rain) – आसमान से जो तरल द्रव (बूंदों )के रूप में जो पृथ्वी पर गिरती हैं उसे वर्षा कहते हैं। जब नदी-नालों, समुद्र, नदी तालाब से जलवाष्प से युक्त वायु ऊपर की तरफ उठती है तो वायुमंडल में तापमान में कमी होने के कारण उसका संघनन होने लगता है। कुछ समय पश्चात जलवाष्प की मात्रा अधिक होने के कारण वायुमंडल उसे संभाल नहीं सकता है और फिर उसके बाद जलवाष्प वर्षा की बूंदों में परिवर्तित हो जाता है। जिसके तत्पश्चात बूंदों के रूप में बारिश होती है।

warsha kise kahte hai
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आसमान से बारिश कैसे होती है?

सामान्य शब्दों में आकाश में उपस्थित भूरे, सफ़ेद काले बदलो से बरसने वाली पानी की बूंदों के के रूप में जो पनि बरसता है उसे ही “बारिश” कहा जाता है। धरती की सतह से जब नदी-नालों, समुद्र, नदी तालाब से पानी वाष्प बनकर ऊपर उठता है तो आसमान से वापस ठंडा होकर पानी की बूंदों के रूप में निचे गिरता है जिसे हम बारिश के नाम से जानते हैं।

वर्षा ऋतु किसे कहते हैं?

वर्षा ऋतु भारत की एक प्रमुख ऋतु है। ये जीवनदायिनी क्योंकि सारी कृषि व्यवस्था वर्षा के ऊपर आधारित रहती है। किसानों के लिए वर्षा किसी दैवीय आशीर्वाद से कम नहीं, क्योंकि वर्षा होती है तब खेत में हरी-हरी फसल लहराती है और लोगों को खाद्यान्न मिलता है। लेकिन वर्षा जितनी लाभदायक है उतनी ही नुकसान दायक भी हो सकती है।

वर्षा से होने वाली लाभ और हानियाँ क्या हैं?


वर्षा से होने वाले लाभ

  • वर्षा के होने से गर्मियों के समय में गर्मी का प्रकोप कम होता है और वातावरण में ठंडक आने से काफी राहत मिल जाती है।
  • वर्षा किसानों के लिए एक अमृत समान है। इसके आने से ही किसानों के लिए खेती तथा सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी मिलता है और फसलें तथा साक-सब्जियां उत्पादित होती हैं।
  • वर्षा का पानी एक पीने योग्य पनि का स्रोत भी है। बहुत सी जगह ऐसी भी हैं जहां वर्षा का पानी संचय कर उसी को पूरे साल पीने के पानी के रूप में उपयोग में लाया जाता है।
  • वर्षा के होने से ही भूमि के अंदर जीतने भी प्राकृतिक पानी के स्रोत हैं वो फिर से रिचार्ज हो जाते हैं।
  • वर्षा से ही हमारे नदी, समुद्र, तालाब, प्राकृतिक पानी के स्रोतों में पानी फिर से जमा हो जाता है।
  • वर्षा से ही हमारे वन, पहाड़,पेड़-पौधे, वातावरण हरे-भरे रहते हैं।
  • असिंचित खेतों के लिए वर्षा, किसानों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है।

वर्षा से होने वाली हानियां

  • अत्यधिक वर्षा होने से सड़कों पर पानी जमा हो जाता है जिससे यातायात में बहुत असुविधा होती है।
  • वर्षा में हर जगह कीचड़ ही कीचड़ जमा हो जाता है जिससे हर जगह गंदगी हो जाती है।
  • वर्षा ऋतु में बिजली के खंभों में करंट आने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं और जो दुर्घटना को आमंत्रित करती है।
  • अत्यधिक वर्षा के कारण अनेक तरह के संक्रामक रोग फैलते हैं और वर्षा में ज्यादा बीमारियां होती है।
  • अत्यधिक वर्षा के कारण नदियों में बाढ़ आ जाती जिससे, काफी जान-माल तथा जन-धन की हानि होती है।
  • अत्यधिक वर्षा के कारण पहाड़ी इलाकों में सड़कें टूट जाती हैं, जिससे यातायात बाधित हो जाता है।
  • अत्यधिक वर्षा में आसमान से ओले गिरते हैं जिससे फसलों को काफी नुकसान पहुंचता है, जिससे किसानों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है।
  • वर्षा में अक्सर कनेक्टिविटी चली जाती है जिससे ऑनलाइन कार्यों में बाधा आती है। जैसे – बैंक, पोस्ट-ऑफिस, विभागीय कार्यालय, साइबर कैफै आदि इसके उदाहरण हैं।

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