वैष्णो देवी मंदिर (जम्मू उत्तर भारत) – नमस्कार दोस्तों कैसे हैं? दोस्तों जम्मू कश्मीर में स्थित माता वैष्णो देवी मंदिर के बारे में आपने अक्सर तो सुना ही होगा और जरूर ही आपका वहां जाने का मन भी करता होगा तो दोस्तों आज का यह लेख वैष्णो देवी यात्रा से संबंधित है जिसमें आपको मैं संपूर्ण जानकारी बताऊंगा कि आपको यहां पर किस प्रकार जा सकते हैं कहां रुक सकते हैं और क्या-क्या वहां पर रुकने की व्यवस्था खाने की व्यवस्था होगी यह जानकारी आपको देने वाला हूं तो आइए जानते हैं कि क्या कुछ वहां पर आपको मिलेगा।
दोस्तों, इसे लेख में मैं आपको बताऊंगा कि आप यहां पर किस प्रकार से पहुंच सकते हैं। क्या-क्या यहां पर रहने और खाने की उचित व्यवस्था हो सकती है? और यहां जाने के लिए सबसे बढ़िया सीजन कौन सा रहेगा जिसमें आपको जाना उचित रहेगा?
वैष्णो देवी कैसे पहुंचे?
तो दोस्तों वैष्णो देवी जाने के लिए सबसे पहले आपको जम्मू आना पड़ेगा। दोस्तों जम्मू से आपके पास तीन ऑप्शन होते हैं जिसमें पहला ऑप्शन होता है बाय ट्रेन। दोस्तों आपको अपने शहर से जम्मू के लिए डायरेक्ट ट्रेन मिल जाएगी। अगर आपके शहर से बाई चांस आपको डायरेक्ट नहीं मिलती है तो आप दिल्ली आयें और दिल्ली से आपको जम्मू के लिए डायरेक्ट ट्रेन मिल जाएगी।

जम्मू पहुंचने के बाद बस कहाँ से मिलेगी?
दोस्तों जम्मू पहुंचने के बाद आपको फिर कटरा रेलवे स्टेशन पहुंचना होता है जो कि जम्मू से 68 किलोमीटर और आगे है। दोस्तों जम्मू से भी आपको बहुत सारी ट्रेनें कटरा के लिए मिल जाएंगी और अगर आप डायरेक्ट दिल्ली से कटरा के लिए डायरेक्ट टिकट करते हैं तो आपको डायरेक्ट भी दिल्ली से कटरा के लिए ट्रेन मिल जाएगी।
जम्मू के बाद बस से कटरा कैसे पहुँचें?
यह तो थी ट्रेन की बात अब बात करते हैं बस की जो कि ट्रेन के बाद दूसरा ऑप्शन है अगर आप जम्मू ट्रेन से पहुंच जाते हैं तो अगर वहां से आगे के लिए आपको ट्रेन नहीं मिलती है तो जम्मू रेलवे स्टेशन के बाहर आपको बहुत सारी बस कटरा के लिए मिल जाती है जो हर एक आधे घंटे में निकलती रहती हैं। तो आप वहां से भी बस कटरा के लिए पकड़ सकते हैं। 2 घंटे में कटरा का सफर आपका तय हो जाएगा।
बाय फ्लाइट या हवाई यात्रा द्वारा वैष्णो देवी यात्रा कैसे करें?
अब बात करते हैं तीसरे ऑप्शन की जोकि है बाय फ्लाइट या हवाई यात्रा। दोस्तों जो यहां का नजदीकी एयरपोर्ट है वह पठानकोट है लेकिन पठानकोट तक सारी फ्लाइट नहीं आती हैं तो आप या तो चंडीगढ़ या अमृतसर तक आप बाय फ्लाइट देश के किसी भी कोने से आ सकते हैं। फिर वहां से बाय ट्रेन या बाय बस आप वहां से किसी भी माध्यम से जम्मू-कटरा पहुंच सकते हैं।
दोस्तों अब मान लीजिए आप बाय बस बाय ट्रेन या बाई फ्लाइट जैसे भी आए, अब मान लीजिए आप कटरा पहुंच गए। अब कटरा पहुंचने के बाद आगे क्या करना होगा चलिए आइए जानते हैं? मान लीजिए अगर आप शाम के टाइम पर कटरा पहुंच गए तो यहां पर खाने-पीने और रहने की सुविधा किस प्रकार होगी अगर आप शाम को कटरा पहुंचते हैं तो में तो आपको यही कहूंगा कि आप शाम को यहीं रुक जाएं और अगली सुबह ट्रैकिंग शुरू करें।
दोस्तों, कटरा में रुकने के लिए आपके पास दो ऑप्शन होते हैं पहला ऑप्शन तो यह है कि आप किसी प्राइवेट होटल में रुक सकते हैं और दूसरा ऑप्शन है कि आप श्राइन बोर्ड का रूम ले सकते हैं। दोस्तों, अब आप कहेंगे यह श्राइन बोर्ड क्या है?
श्राइन बोर्ड (Shrine Board) –
दोस्तों, श्राइन बोर्ड जो है वह वैष्णो देवी माता ट्रस्ट द्वारा यात्रियों को रूम उपलब्ध करवाती है। तो आप वहां के रूम भी ले सकते हैं। वहां पर भी आपको अच्छी सुविधाएं मिल जाती हैं। दोस्तों श्राइन बोर्ड का जो कॉम्प्लेक्स है उसका नाम है निहारिका कंपलेक्स। इस नाम को आप कटरा में पहुंचने से पहले जरूर ही याद रखिए या किसी से पूछ लीजिएगा।

आप श्राइन बोर्ड की ऑफिशियल साइड में जाकर ऑनलाइन रूम भी बुक कर सकते हैं या निहारिका कंपलेक्स की साइट पर जाकर भी आप यहां पर ऑनलाइन रूम कर सकते हैं। यहां पर अगर आप रूम लेना चाहते हैं तो रूम ले सकते हैं या डोरमैन ट्री लेना चाहते हैं तो वह भी ले सकते हैं। दोस्तों वैष्णो देवी की श्राइन बोर्ड के लिए में आपको नीचे लिंक दे दूंगा जहां से आप रूम बुक कर सकते हैं।
अगर आपको निहारिका कंपलेक्स में रूम नहीं मिलता है तो क्या करें?
दोस्तों अगर आपको यहां पर रूम नहीं मिल पाता है या मान लीजिए कि यहां पर रूम ऑलरेडी फुल हैं तो आपको बाहर बहुत से प्राइवेट होटल मिल जाते हैं। जहां पर अलग-अलग सुविधाओं के हिसाब से ₹400 से लेकर ₹1000 तक आपको रूम मिल जाते हैं यह होटल बस स्टैंड के ही आसपास होते हैं आपको कहीं दूर जाने की आवश्यकता नहीं है।
दोस्तों बस स्टेशन के ही बगल में निहारिका कंपलेक्स है अगर आप ऑनलाइन श्राइन बोर्ड की साइट पर जाकर रूम बुक करते हैं तो निहारिका कंपलेक्स मैं आप रुक सकते हैं। बस स्टेशन से ही यह पास में ही है, आप यहां पर ठहर सकते हैं। यहां पर ठहरने के बाद आपको यहां पर खाना भी मिल जाता है। बहुत सारे होटल आपको यहां पर खाना खाने के लिए मिल जाते हैं, जिनमें की थाली सिस्टम होता है जोकि 80 से 100 रुपये के बीच में आपको मिल जाता है।

कटरा के बाद आगे की यात्रा के लिए क्या करना है?
जैसे ही आप कटरा से पैदल यात्रा के लिए निकलेंगे तो आपको यात्रा परची काउंटर से यात्रा परची लानी जरूरी है। यात्रा परची का सीधा सा मतलब है एक्सेस कार्ड। जो आप कटरा से ही ले सकते हैं। यहीं पर इसके लिए यात्रा रजिस्ट्रेशन काउंटर है जहां से आपको यह टिकट मिलेगा और आप रेलवे स्टेशन से भी यह पर्ची ले सकते हैं। वहां पर भी इसके लिए काउंटर बनाया गया है। अगर आप इसको ऑफलाइन नहीं निकालना चाहते तो आप इसे ऑनलाइन भी निकाल सकते हैं इसके लिए आपको इस साइट maavaishnodevi.org पर जाकर इस यात्रा परची को ऑनलाइन बुक करना होगा। जो भी आपकी कटरा से ऊपर जाने की तारीख रहेगी उस तारीख की आप ऑनलाइन यात्रा परची निकाल सकते हैं।
ताराकोट मार्ग या बाणगंगा मार्ग (यात्रा के लिए पैदल मार्ग) किस मार्ग से जाना बेहतर रहेगा?
दोस्तों, जहां मां वैष्णो माता का मंदिर है उस जगह का नाम भवन है। तो जैसे ही आप कटरा से पैदल चलेंगे तो आपको बीच में एक जगह पड़ेगी अधकुंवारी। दोस्तों आपको जो पैदल यात्रा करनी है वह कटरा से नहीं करनी है बल्कि ताराकोट मार्ग या बाणगंगा मार्ग से करनी है।
1. बाणगंगा मार्ग –
सबसे पहले अगर में पहले मार्ग की बात करूं तो वह है बाणगंगा मार्ग। सबसे पहले आपको कटरा से बाणगंगा जाना होगा इसके लिए आपको वहाँ जाने के लिए कटरा से ऑटो मिल जाएंगे। और बाणगंगा से भवन, यानी कि वैष्णो माता मंदिर तक की जो पैदल यात्रा है वह 12 किलोमीटर की है। बाणगंगा से भवन जाने के लिए बीच में हमें क्या-क्या सुविधाएं मिलेंगी और क्या-क्या रास्ते में देखने को मिलेगा जानते हैं?
दोस्तों जो यह बाणगंगा वाला मार्ग है इसमें सबसे पहले आपको समस्या ये जाएगी कि यहां पर घोड़े खच्चरों का आवागमन ज्यादा रहता है जिस कारण आपको थोड़ी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है और साथ ही साथ बाणगंगा मार्ग से जाते हुए आप 2 चीजें कर सकते हैं। पहला तो वहां पर आप एक जगह पर आप स्नान कर सकते हैं वहां पर आपको माता के चरण पादुका के भी दर्शन हो जाएंगे।
2. ताराकोट मार्ग –
दूसरे रास्ते की अगर हम बात करें तो अगर आप ताराकोट मार्ग से जाते हैं तो, यह आपको बाणगंगा मार्ग से 2 किलोमीटर ज्यादा पड़ता है। यानी कि 14 किलोमीटर आपको ये वाला रास्ता पड़ेगा। दोस्तों ताराकोट मार्ग पर सिर्फ पैदल यात्री ही चलते हैं और यह मार्ग पैदल चलने वालों के लिए काफी अच्छा है यह मार्ग नया ही बनाया गया है भले ही यहां पर 2 किलोमीटर चढ़ाई ज्यादा है लेकिन आप बड़े ही आसानी से इस मार्ग से आसानी से माता वैष्णो देवी मंदिर पहुंच सकते हैं।
पैदल जाने के लिए किस मार्ग में कितनी है चड़ाई?
दोस्तों जो बाणगंगा मार्ग है उसमें चढ़ाई ज्यादा है भले ही 2 किलोमीटर चढ़ाई कम है, लेकिन चढ़ाई ज्यादा है और साथ ही साथ अगर आप ताराकोट से जाते हैं तो यहां पर चढ़ाई कम है, भले ही 2 किलोमीटर चढ़ाई ज्यादा है लेकिन चलने के लिहाज से चढ़ाई कम है और बड़े ही आसानी से आप इस चढ़ाई को पार कर सकते हैं। आप दोनों ही रास्तों से भवन पहुंच सकते हैं।
माता के चरण पादुका के दर्शन कहाँ पे करें?
लेकिन आप जाते टाइम ताराकोट मार्ग से जाइए और आते टाइम बाणगंगा मार्ग से आइएगा क्योंकि, आपको माता के चरण पादुका के दर्शन करना भी जरूरी है जो आपको बाणगंगा मार्ग पर ही होंगे तो चाहे तो आप जाते टाइम करिए या आते टाइम करिए लेकिन माता के चरण पादुका के दर्शन करना भी जरूरी है। दोस्तों अब में आपको एक जगह के बारे में बता रहा हूं जो कि ताराकोट और भवन के बीच में पढ़ती है जिसका नाम है अधकुंवारी। अगर आप ताराकोट मार्ग से जा रहे हैं या बाणगंगा मार्ग से जा रहे हैं दोनों मार्ग में ही आपको अधकुंवारी होकर ही आगे जाना होता है। आप किसी भी मार्ग से आइए आपको अध- कुंवारी आना ही पड़ेगा।
अगर आप घोड़े खच्चर या पिट्ठू से जाना चाहते हैं तो आपके लिए बढ़िया ऑप्शन है बाणगंगा मार्ग। क्योंकि आप ताराकोट मार्ग से बिना घोड़े या पिट्ठू के नहीं जा सकते। इसलिए, आपको बाणगंगा मार्ग से होकर ही जाना पड़ेगा। अगर आपके पैरों में कोई दिक्कत है यह चलने में परेशानी है तो आपको बाणगंगा मार्ग से ही जाना पड़ेगा।
कटरा से भवन जाने के लिए घोड़े का रेट क्या है?
दोस्तों, अगर घोड़े की रेट की बात करें तो वहां पर घोड़े का रेट 1200 रुपए एक बार का है। वहीं अगर पालकी की बात करें तो ₹3200 एक बार का पालकी का है। अगर आप बाणगंगा मार्ग से जाते हैं तो आपको वहां पर एक गुलशन लंगर भी मिलेगा। इस लंगर में आप खाना भी खा सकते हैं। खाने के साथ-साथ आप इस मार्ग का संपूर्ण दृश्य भी देख सकते हैं और माता के चरण पादुका के दर्शन भी आप रास्ते में ऊपर जाते समय कर सकते हैं।
ताराकोट मार्ग पर आपको क्या-क्या देखने को मिलेगा?
अब दूसरे मार्ग की बात अगर हम करें, जो है ताराकोट मार्ग। इस मार्ग में हमें रास्ते में क्या-क्या देखने को मिलेगा तो जब आप इस मार्ग से जाएंगे तो यहां पर भी आपको एक लंगर देखने को मिलेगा। जहां पर आप प्रसाद या भोजन ग्रहण कर सकते हैं और साथ ही साथ जगह-जगह पर रास्ते में आपको भोजनालय भी मिल जाएंगे जहां पर आप खाना खा सकते हैं और जगह-जगह आपको टी सेंटर भी मिल जाएंगे और रिफ्रेशमेंट सेंटर भी आपको मिल जाते हैं जहां पर आप फ्रेश हो सकते हैं आपको वहां पर रेस्ट करने के लिए एयर कूलर और डिस्पेंसरी की भी वहां पर आपको सुविधा दी जाती हैं।
दोस्तों, अगर आप बाणगंगा से जाइये या ताराकोट मार्ग से आपको सबसे पहले अधकुंवारी ही पहुंचना है। चाहे आप घोड़े खच्चर से जाइए चाहे आप पैदल जाइये, आपको अपने हिसाब से जो भी अच्छा लगता है आप उसी हिसाब से जाइये। दोस्तों पैदल यात्रा के लिए आपको खुद के स्टैमिना पर भरोसा होना चाहिए कि हां वाकई में में पैदल जा सकता हूं कहीं ऐसा ना हो की आप जबरदस्ती पैदल जाएं और रास्ते में आपकी तबीयत खराब हो जाए। आप जिस हिसाब से पैदल चल सकते हैं उसी हिसाब से नॉर्मल स्पीड से जाएं।
कटरा से भवन तक पैदल जाने में कितना समय लगेगा?
अगर कटरा से भवन तक पैदल समय की बात करें तो अगर आप धीरे-धीरे भी चलते हैं तो 5 से 6 घंटे में आप ऊपर भवन तक आसानी से पहुंच सकते हैं। दोस्तों अब बात आती है अधकुंवारी की, अधकुंवारी में आप क्यों रुके? और अधकुंवारी में रुकने के दो कारण हैं। पहला कारण है गर्भगृह। दोस्तों गर्भगृह में माता ने 9 महीने बिताया था। यहां पर सुबह और शाम 6:00 बजे दो टाइम आरती होती है तो आरती में भी आप सम्मिलित हो सकते हैं। तो यह दो चीज आपको अधकुंवारी में मिल जाएंगे इसलिए आपको यहां पर रुकना चाहिए।
गर्भगृह का दर्शन कैसे करें?
अब बात आती है गर्भगृह का दर्शन कैसे करें? दोस्तों गर्भगृह में जो गुफा है वह बहुत संकीर्ण है। संकीर्ण होने के कारण जो यात्रियों को दर्शन दिए जाते हैं वह बैच में दिए जाते हैं। बैच को टोकन दिए जाता है एक बैच को 6 से 7 घंटा लग जाता है। अगर आप नवरात्रि के समय पर यहां पर आते हैं तो आपको 12 घंटा भी यहां पर समय लग सकता है। अगर समय ज्यादा लग रहा है तो मैं यही कहूंगा कि आप अधकुंवारी से टोकन लेकर भवन के लिए निकल जाएं। लेकिन अगर आपका यहां पर गर्भगृह का दर्शन करने के लिए 4 से 6 घंटे का समय लग रहा है तो आप टोकन लेकर जरूर एक बार दर्शन करिए।
अधकुंवारी में रुकने की क्या-क्या व्यवस्थाएं हैं?
दोस्तों, श्राइन बोर्ड के वहाँपे भी रूम और डॉक्यूमेंट्री बनी हुई है इसके लिए भी आप नीचे दिए गए वेबसाईट के लिंक से रूम कर सकते हैं। दोस्तों, अगर वहां पर आपको रूम और डॉक्यूमेंट्री किसी कारणवश नहीं मिल पाती है तो आपके पास तीसरा ऑप्शन है हॉल। यहां पर हॉल में रहने के लिए आप को कंबल दिया जाएगा। कंबल का जो रेट है वह ₹100 पर कंबल होता है, लेकिन यह पैसा आपको सुबह वापस हो जाएगा जब आप कंबल वापस देते हैं तो।
जितने कंबल आपको चाहिए आप ले सकते हैं ₹100 पर पर्सन के हिसाब से और अगली सुबह जब आप कंबल वापस करेंगे तो आपको आपके पैसे वापस दे दिए जाएंगे जब आप कंबल वापस करते हैं तो।
वैष्णो देवी जाने के लिए सबसे बढ़िया समय या सीजन कौन सा रहेगा?
अब बात करते हैं वैष्णो देवी जाने के लिए सबसे बढ़िया समय या सीजन कौन सा रहेगा?
दोस्तों अगर आप चाहते हैं कि आप भीड़वाले वाले समय में ना जाए तो, आप नवरात्रों के समय में न जाएं क्योंकि, जब भी नवरात्रे होते हैं तो नवरात्रों में यहां पर बहुत ज्यादा भीड़ हो जाती है और मानसून के समय में भी आप कम आने का प्रयास करें क्योंकि, यहां पर पैदल मार्ग में लैंडस्लाइड हो जाता है जिससे यात्रियों को ट्रैकिंग करने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। तो मानसून और नवरात्रों को छोड़कर आप किसी भी समय आ सकते हैं।
वैष्णो देवी जाने के लिए कितने दिन का प्लान बनायें?
तो अब बात करते हैं कि आपको यहां आने के लिए कितने दिन का प्लान बनाना चाहिए?
दोस्तों, अगर आप यहां आते हैं और अधकुंवारी में रुकना चाहते हैंगर्भगृह का दर्शन करना चाहते हैं तो आपको 03 से 04 दिन का प्लान आपको बनाना चाहिए। इसमें आपके ट्रेन से आने जाने का या बाय बस या फ्लाइट से आने जाने का समय नहीं जोड़ा गया है। कम से कम कटरा से भवन और भवन से वापस कटरा तक आपको कम से कम 3 से 4 दिन का समय लग जाता है। अगर आप अधकुंवारी में गर्भगृह का दर्शन करते हैं तो 3 दिन मान के चलिए एक दिन आप का पैदल ऊपर जाने का, एक दिन अधकुंवारी में आप का गर्भगृह का दर्शन करने में लग जाएगा और एक दिन आपको वापस नीचे आने में लग जाएगा। तो कम से कम तीन से चार दिन आप मान कर चलिए। दोस्तों, अगर आप ऑफ सीजन मैं आते हैं तो आपको अधकुंवारी में 6 से 8 घंटे में दर्शन हो जाते हैं।
अधकुंवारी से भवन तक का सफर कैसे करें?
दोस्तों आप बात करते हैं और तुम्हारे से भवन की ओर बढ़ने के लिए अगर आप अंध कुमारी में थक चुके हैं आपका साहस अब पैदल चलने का नहीं है तो आप यहां से भी घोड़े में जा सकते हैं जिसका यहां से किराया ₹600 होता है और अगर पालकी की बात करें तो पालकी वाले 1700 रुपए लेते हैं। तो अधकुंवारी से भी आप घोड़े खच्चर या पालकी द्वारा भी भवन तक सफर कर सकते हैं।
दोस्तों, अगर दूसरा ऑप्शन की बात करें तो वह है बैटरी कार। यह सुविधा पहले नहीं थी इसको वर्ष 2017 से शुरू कर दिया गया है। तो वहां पर बैटरी कार भी चलती है तो आप बैटरी कार ले सकते हैं। इसका किराया ₹350 पर पर्सन के हिसाब से लिया जाता है। पर साइड का लेते हैं यानी एक बार एक साइड का जाने का ₹350 आपको देना होगा। यहां पर आधे से एक घंटा आपको लाइन में लगाना पड़ेगा कार लेने के लिए। डिपेंड करता है कि कितने वहां पर जाने वाले हैं उस हिसाब से आपका नंबर भी आएगा।
कटरा से भवन तक हेलीकॉप्टर से कैसे पहुँचें?
इसी के साथ अब बात करते हैं हेलीकॉप्टर की अगर आप हेलीकॉप्टर से माता के दर्शन करना चाहते हैं तो आपको कटरा से 2 किलोमीटर आगे कटरा का हेलीपैड पड़ेगा। कटरा से आप हेलीपैड तक ऑटो के माध्यम से जा सकते हैं और वहां पर हैलिपैड से आपको हेलीकॉप्टर मिल जाएगा। दोस्तों टिकट आपको कहां से मिलेगा? तो टिकट आपको किसी भी तरह से ऑफलाइन माध्यम से नहीं मिलेगी। टिकट आपको ऑनलाइन ही बुक करनी पड़ेगी।
नीचे दिए गए ऑफिशियल लिंक के माध्यम से ही आप वहां के लिए हेलीकॉप्टर का टिकट निकाल पाएंगे। दोस्तों अगर आप कटरा से उड़ान भरते हैं हेलीकॉप्टर के माध्यम से तो, हेलीकॉप्टर वाला आपको सांजीछत पर लेकर जाएगा। सांजीछत हेलीपैड का नाम है जहां पर हेलीपैड बना हुआ है। कटरा से उड़ान भरने के बाद आप सांजीछत पहुंचेंगे। अब बात करते हैं सांझी छत से भवन की यानी कि जहां पर आपको माता के दर्शन करने के लिए जाना है उसकी दूरी की बात करें तो सांजीछत से भवन की दूरी मात्र 2 किलोमीटर है। यह 2 किलोमीटर आपको पैदल ही जाना है या आप चाहे तो घोड़े खच्चर के माध्यम से भी 2 किलोमीटर आप भवन तक जा सकते हैं।
कटरा से हेलीकॉप्टर का किराया कितना होता है?
दोस्तों जब आप सांजीछत हेलीपैड पर हेलीकॉप्टर से उतरते हैं तो वहां पर आपको घोड़े खच्चर भी मिल जाते हैं जो आप से 2 किलोमीटर के 200 से 250 तक घोड़े का किराया भवन तक लेंगे अगर आप चलने में असमर्थ हैं तो। दोस्तों अगर में किराये की बात करूं तो, अगर हेलीकॉप्टर के किराए की बात करें तो अगर आप सिर्फ हेलीकॉप्टर से ऊपर जाते हैं यानी कि कटरा से सांजी छत जाते हैं तो आपको 1700 रुपए देना होता है और अगर आपको आना-जाना दोनों हेलीकॉप्टर से करना है तो आपको ₹3460 तक देना होता है।
वैष्णो देवी मंदिर पहुंचने पर बैग कहाँ रखें, फ्रेश कहाँ पे हों, और प्रसाद कहाँ से लें?
यह किराया परिस्थिति के अनुसार घट बढ़ सकता है तो यह मोटा मोटा एक अनुमान है क्योंकि, जैसे कि आप सभी जानते हैं समय के अनुसार किराया भी घटता बढ़ता रहता है। अब बात करते हैं जब आप भवन पहुंच जाते हैं तो आपके कंधे पर जो बैग है वह कहां रखें जूते चप्पल कहां रखें और फ्रेश कहां पर होना है यह सब सवाल आपके दिमाग में आएंगे तो आपको बता दें कि सबसे पहले बता दे कि जूते रखने के लिए आपको वहां पर फ्री स्टैंड मिल जाता है जहां पर आप अपने जूते चप्पल रख सकते हैं। वहां से आप टोकन लेंगे और जिस नंबर का टोकन होगा उस नंबर के खाने में आप अपने जूते चप्पल रख देंगे फिर आपको दर्शन करने के लिए प्रसाद की आवश्यकता पड़ेगी तो वहां पर आप को एक BHAINT SHOP दिखेगी, जहां से आप प्रसाद ले सकते हैं। इसका ₹40 ₹25 और ₹10 तक प्रसाद का मूल्य होता है तो आप अपने हिसाब से कोई भी पैकेट ले सकते हैं।
तो चप्पल जूते चप्पल रखने के बाद अब बात आती है कि प्रेस कहां हुई तो वहां पर सुलभ शौचालय कॉन्प्लेक्स बने होते हैं जहां पर आप फ्रेश हो सकते हैं। थोड़ा बहुत ही वह आपसे चार्ज लेते हैं। भवन में भी बहुत सारे रूम आपको वहां पर रुकने के लिए मिल जाते हैं। रूम करने के लिए आपको नीचे दिए गए लिंक से ही आपको रूम ऑनलाइन बुक कर देना है। अगर ऑनलाइन आपको रूम नहीं मिल पाता है तो हॉल की भी सुविधा यहां पर उपलब्ध है जहां पर आपको हॉल में कंबल दिया जाता है और जो कंबल की टाइमिंग होती है वह रात के 9:00 से सुबह के 9:00 तक होती है। यानी कि 12 घंटे तक आप यह कंबल अपने पास रख सकते हैं यूज कर सकते हैं और कमल का रेट यहां पर भी वही होता है जैसे कि आपको मैंने अभी ऊपर भी बताया है कि 100 रुपये पर पर्सन के हिसाब से कंबल दिया जाता है। जो कि बाद में आपको रिफंड कर दिया जाता है जब आप कंबल वापस करते हैं।
क्या चीज यहाँ पे ले जाना प्रतिबंधित है?
अब अंत में बात करते हैं वैष्णो देवी माता दर्शन करने के लिए क्या करें?
तो आप को दर्शन के लिए लाइन में लगना होगा। दोस्तों यहां पर लेडीस को लेदर का पर्स अलाउड नहीं है और पर्स में किसी भी तरह का कॉस्मेटिक का सामान ले जाना अलाउड नहीं है और अगर जेंट्स की बात करें तो लेदर की बेल्ट यहां पर आप पहनकर नहीं जा सकते। अगर आपके पास लेदर की बेल्ट है तो आपको यह बेल्ट निकाल कर कहीं रख देनी है चाहे वह आप गाड़ी में रखें या कहीं पर रूम में रख दें। मंदिर परिसर में यह चीजें अलाउड नहीं है।
दोस्तों, कैमरा भी ले जाना यहां पर अलाउड नहीं है तो यह चीजें आप पहले ही निकाल कर कहीं रख दीजिए क्योंकि एक बार आप दर्शन लाइन में लग गए तो फिर वापस निकलना आपके लिए थोड़ा सा ठप पड़ जाएगा क्योंकि लाइन में बहुत भीड़ होती है दर्शन के लिए तो आप अच्छे से माता के दर्शन करिए माता के जयकारे के साथ आप आगे बढ़ते जाइए और माता का पिंड रूप में आशीर्वाद दीजिए अपनी मनोकामना यहां पर मांगे तो दोस्तों अगर आप भवन में पहुंच जाते हैं तो यहां पर आपको एक अन्नपूर्णा भोजनालय भी मिल जाता है जो साइन बोर्ड की तरफ से चलाए जाते हैं ऐसे ही कहीं भोजनालय यहां पर उपलब्ध है इन भोजनालय हूं मैं आपको नाश्ता दिन का खाना और रात का खाना यह सब चीज है मिल जाता है तो आप इन भोजनालय में जाकर आराम से खाने का मजा ले सकते हैं।
वैष्णो देवी मंदिर के बाद भैरव मंदिर कैसे जाएं?
अंत में अब बात करते हैं कि भैरव मंदिर कैसे जाएं?
अगर आप वैष्णो देवी मंदिर जाते हैं और भैरव मंदिर के दर्शन नहीं करते हैं तो यह आपकी यात्रा जो है अधूरी मानी जाएगी। इसलिए आपको भैरव मंदिर के दर्शन करना भी जरूरी हो जाता है। भैरव मंदिर भवन से 2 किलोमीटर और ऊपर चढ़कर आपको पैदल जाना होगा तब आपको वहां पर भैरव मंदिर के दर्शन होंगे। तो भैरव मंदिर आप भवन से पैदल भी जा सकते हैं और घोड़े खच्चर की मदद से भी जा सकते हैं। यहां पर घोड़े खच्चर का किराया 250 से 300 तक हो सकता है आप चाहे तो घोड़े खच्चर से चले जाएं या पैदल जाएं यह आप पर निर्भर करता है।
दोस्तों भवन से ऊपर भैरव मंदिर के लिए अभी-अभी 2 साल पहले रोपवे भी शुरू कर दिया गया है जिसके टिकट की अगर बात करें तो 100 रुपये 1 आदमी का लगता है जाने का और आने का। भैरव मंदिर में आपको ज्यादा समय नहीं लगेगा। आधे से 1 घंटे के अंदर आप यहां पर आराम से दर्शन कर सकते हैं।
वैष्णो देवी मंदिर जाने का कितना खर्चा होगा?
अब अंत में बात करते हैं कि पूरे बजट की, माता वैष्णो देवी जाने के लिए कितने का बजट लग जाएगा?
दोस्तों, अगर आप पैदल यात्रा करते हैं तो 3500 से 4000 तक आपका एक व्यक्ति पर खर्च आएगा। अगर आप घोड़े खच्चर या पालकी के माध्यम से जाते हैं तो आपका 6000 से 7000 तक खर्चा आएगा और अंत में बात करते हैं हेलीकॉप्टर के माध्यम से तो, हेलीकॉप्टर से जाने पर आपका 10,000 तक का एक व्यक्ति पर खर्चा आ जाएगा। दोस्तों यह खर्चा सिर्फ कटरा से वैष्णो देवी मंदिर भवन तक का है इसके अलावा आपको बीच में बस का, ट्रेन टिकट का, फ्लाइट का,अपने खाने-पीने का वह खर्चा अलग होगा। जो खर्चा मैंने यह बताया है यह सिर्फ और सिर्फ कटरा से वैष्णो मंदिर और भैरव मंदिर तक का ही है। धन्यवाद
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