टिंडल प्रभाव किसे कहते हैं? टिंडल प्रभाव का चित्र-
टिंडल प्रभाव – “कोलॉइडी कणों द्वारा प्रकाश के प्रकीर्णन को टिंडल प्रभाव कहते हैं”।
“टिंडल प्रभाव” एक कोलाइड में या बहुत महीन निलंबन में कणों द्वारा प्रकाश का प्रकीर्णन है। टिंडल स्कैटरिंग के रूप में भी जाना जाता है, यह रेले स्कैटरिंग के समान है, जिसमें बिखरी हुई रोशनी की तीव्रता तरंग दैर्ध्य की चौथी शक्ति के व्युत्क्रमानुपाती होती है, इसलिए नीली रोशनी लाल रोशनी की तुलना में बहुत अधिक मजबूती से बिखरी हुई है।
रोज़मर्रा की ज़िंदगी में एक उदाहरण है नीला रंग जो कभी-कभी मोटरसाइकिलों से निकलने वाले धुएँ में देखा जाता है, विशेष रूप से टू-स्ट्रोक मशीनों में जहाँ जले हुए इंजन का तेल इन कणों को प्रदान करता है।

टाइन्डल प्रभाव के तहत, लंबी तरंग दैर्ध्य अधिक संचरित होती हैं जबकि छोटी तरंग दैर्ध्य बिखरने के माध्यम से अधिक विसरित रूप से परावर्तित होती हैं। टाइन्डल प्रभाव तब देखा जाता है जब प्रकाश के प्रकीर्णन कण पदार्थ को अन्यथा प्रकाश संचारण माध्यम में फैलाया जाता है, जब एक व्यक्तिगत कण का व्यास लगभग 40 और 900 एनएम के बीच होता है।
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यह विशेष रूप से कोलाइडल मिश्रण और महीन निलंबन पर लागू होता है। उदाहरण के लिए, एरोसोल और अन्य कोलाइडल पदार्थ में कणों के आकार और घनत्व को निर्धारित करने के लिए नेफेलोमीटर में टाइन्डल प्रभाव का उपयोग किया जाता है (अल्ट्रामाइक्रोस्कोप और टर्बिडीमीटर देखें)।
उदाहरण–
- धूल या धुएं से भरे कमरे में किसी छिद्र से प्रवेश करने वाले प्रकाश पुंज में कणों को उड़ते हुए देखना।
- घने जंगलों के वितान (Canopy) से सूर्य की किरणों का गुजरना।
- जंगल के कुहासे में जल की सूक्ष्म बूंदों द्वारा प्रकाश का प्रकीर्णन।
जब किसी कोलाइड विलयन में से किसी प्रकाश पुंज को प्रवाहित करने पर , इसे प्रकाश की दिशा के लम्बवत देखने पर , कोलाइड विलयन में प्रकाश पुंज का मार्ग चमकता हुआ दिखाई देता है , इसी परिघटना को टिंडल प्रभाव कहते है।
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चित्रानुसार दो विलयन लेते है एक साधारण विलयन और एक कोलाइड विलयन , चित्रानुसार दोनों विलयनों में से होकर एक तीव्र प्रकाश पुंज को गुजारा जाता है | तो हम देखते है कि साधारण विलयन में यह प्रकाश अदृश्य रहता है लेकिन कोलाइड विलयन में जिस मार्ग से प्रकाश गुजरता है वह प्रकाश का मार्ग चमकता हुआ प्रतीत होता है इसी प्रभाव को टिण्डल प्रभाव कहते है जैसा चित्र में दिखाया गया है |
कारण : चूँकि साधारण या वास्तविक विलयन के कणों का आकार बहुत ही सूक्ष्म होता है. इसलिए जब वास्तविक विलयन से प्रकाश किरणों को गुजारा जाता है तो प्रकाश प्रकिर्णित नहीं हो पाता है और हमारी आँखों तक नहीं पहुँच पाता है जिसकी वजह से हमें प्रकाश दिखाई नहीं दे पड़ता है।
दूसरी तरफ जब प्रकाश पुंज को किसी कोलाइडी विलयन से गुजारा जाता है तो कोलाइड विलयन में कणों का आकार अपेक्षाकृत अधिक बड़ा होता है जिससे जब प्रकाश इनसे टकराता है तो वह प्रकिर्नित हो जाता है और जिसके कारण यह प्रकाश प्रकीर्नित होकर हमारी आँखों तक पहुच जाता है और हमें इस प्रकाश का मार्ग चमकता हुआ दिखाई देता है अर्थात हमें प्रकाश दृश्य रहता है।
यहां पर एक बात ध्यान दें कि, यहाँ प्रकीर्णित प्रकाश की तीव्रता परिक्षेपण माध्यम और परिक्षिप्त प्रावस्था के अपवर्तनांक के अंतर पर निर्भर करती है।
टिंडल प्रभाव किस में देखा जा सकता है?
हम टिण्डल प्रभाव को दैनिक जीवन में आसानी से देख सकते है जिसके 2 उदाहरण आपको दैनिक जीवन में देखने को मिल जाते हैं जैसे कि –
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- जब एक अंधरे कमरे में किसी एक छिद्र से प्रकाश आता है तो आप देख सकते है की जिस मार्ग से यह अँधेरे कमरे में आता है वह हमें चमकता हुआ या इसका मार्ग हमें स्पष्ट दिखाई देता है। इस स्थिति में अंधरे कमरे में उपस्थित धुल के जो छोटे-छोटे कण या धुआं के कण कोलाइड कणों के समान ही कार्य करता है जिनसे प्रकाश प्रकिर्नित होकर हमारी आँखों तक पहुँचता है और इसी वजह से यह प्रकाश का मार्ग हमें चमकता हुआ नजर आता है।
- अगर आप कभी सिनेमाघर में मूवी देखने गए होंगे तो आपनें देखा होगा की प्रोजेक्टर से आने वाली प्रकाश किरणें हमें स्पष्ट दिखाई देती हैं। यह टिण्डल प्रभाव का एक सामान्य सा उदाहरण ही है। यहाँ भी धुल के कण कोलाइड कणों की तरह व्यवहार करते है।
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1860 के दशक में, जॉन टिंडल ने विभिन्न गैसों और तरल पदार्थों के माध्यम से प्रकाश, चमकते बीम के साथ कई प्रयोग किए और परिणामों को रिकॉर्ड किया। ऐसा करने में, टाइन्डल ने पाया कि जब धीरे-धीरे ट्यूब को धुएं से भर दिया जाता है और फिर उसके माध्यम से प्रकाश की किरण को चमकता है, तो बीम ट्यूब के किनारों से नीला दिखाई देता है लेकिन दूर से लाल होता है।
इसका नाम 19वीं सदी के भौतिक विज्ञानी जॉन टिंडल के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने पहली बार इस घटना का बड़े पैमाने पर अध्ययन किया था। घटना की खोज से पहले, जॉन टिंडल मुख्य रूप से आणविक स्तर पर उज्ज्वल गर्मी के अवशोषण और उत्सर्जन पर अपने काम के लिए जाने जाते थे। उस क्षेत्र में उनकी जांच में, हवा का उपयोग करना आवश्यक हो गया था जिसमें से तैरती धूल और अन्य कणों के सभी निशान हटा दिए गए थे, और इन कणों का पता लगाने का सबसे अच्छा तरीका हवा को तीव्र प्रकाश में स्नान करना था।
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कौन सा पदार्थ टिंडल प्रभाव (Tyndall effect) दर्शाता है?
टिंडल प्रभाव (Tyndall effect) को दूध और स्टार्च विलयन प्रदर्शित करेगा क्योंकि यह दोनों ही कोलाइड है । कोलाइडी कणों द्वारा प्रकाश के प्रकीर्णन को टिंडल प्रभाव कहा जाता है।
टिंडल प्रभाव क्या है और इन कोलाइडी विलयन इस प्रक्रम को किस प्रकार प्रदर्शित करते हैं?
जिस प्रकार किसी अंधेरे कमरे में कोई प्रकाश स्रोत से प्रकाश डाला जाता है तो कमरे के अंदर धूल के कण प्रकाश में स्पष्ट दिखाई देते हैं। ठीक उसी प्रकार जब कोलाइडी विलयन में प्रकाश की किरण पुंज को गुजारा जाता है तथा सूक्ष्मदर्शी द्वारा प्रकाश के लम्बवत विलयन को देखा जाता है। एवं इस घटना को टिंडल प्रभाव कहते हैं।
कोलाइड के कणों का क्या आकार होता है?
आपको बता दें की कोलाइड कोई पदार्थ नहीं है परन्तु पदार्थ की वह अवस्था है जिसमें कणों का आकार लगभग औसतन 1nm से 1000nm या 10-9 meter से 10-6 m तक होता है।
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कोलाइडी विलयन कितने प्रकार के होते हैं?
परिक्षेपित प्रावस्था तथा परिक्षेपण माध्यम के ठोस, द्रव तथा गैस होने के आधार पर कुल आठ प्रकार के कोलाइडी विलयन संभव है। एक गैस में दुसरे गैस का मिश्रण समांगी होता है इसीलिए यह कोलाइडी तंत्र नहीं बनाता है।
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