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सिलिकॉन पदार्थ क्या होता है? सिलिकॉन कितने प्रकार के होते हैं?

सिलिकॉन पदार्थ होता है –सिलिकॉन (Silicon) एक रासायनिक तत्व है। यह पृथ्वी पर ऑक्सीजन के बाद सबसे अधिक पाए जाने वाला तत्व है। सिलिकॉन के योगिक इलेक्ट्रॉनिक अवयव जैसे- साबुन शीशे एवं कंप्यूटर चिप्स में इस्तेमाल किए जाते हैं।

सिलिकॉन की खोज 1824 में स्वीडन के रसायन शास्त्री जोश जकब बजेलियस द्वारा की गई थी। वैज्ञानिक आवर्त सारणी में यह 14 वें स्थान पर पायी जाती है। यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण धातु है, जिसका उपयोग रासायनिक तत्वों में प्रमुख रूप से किया जाता है। यह पृथ्वी पर पाए जाने वाली एक बहुत ही महत्वपूर्ण धातु है।

सिलिकॉन पदार्थ
सिलिकॉन पदार्थ

सिलिकॉन कैसे प्राप्त होता है ?

इसके खनिज आग्नेय जलज तथा रूपांतरित तीनों प्रकार की शिलाओं में मिलते हैं। इनके आर्थिक निछेप पैगमेटाइट शिलाओं में नसों तथा धारियों में और बालू में मिलता है। यह भारत के मध्य प्रदेश राज्य के जबलपुर में शुद्ध बालू पाया जाता है।

गया के राजगिरी पहाड़ियों, मुंगेर की खरगपुर पहाड़ियों, बिहार राज्य के पटना के बिहारशरीफ, उड़ीसा राज्य के संबलपुर तथा बागरा के कुछ भाग में तापरोधी कार्यों के लिए उत्कृष्ट कोटि का स्फटिकाश्म (crystallite) प्राप्त होता है। राजस्थान राज्य के बूंदी जयपुर जिले में से सिलिका सैंड प्राप्त होती है।

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सिलिकॉन कितने प्रकार के होते हैं?

सिलिका या सिलिकॉन डाइऑक्साइड खनिज सिलिकॉन और ऑक्सीजन के योग से बना होता है। यह निम्नलिखित खनिजों के रूप से प्राप्त होता है –

1. क्रिस्टलीय – जैसे क्वार्ट्ज (Quartz)

क्वार्ट्ज षड्भुजीय प्रणाली का क्रिस्टल बनता है। सामान्यतः यह रंगहीन होता है. और अपद्रव्यों के विद्यमान होने पर यह अलग-अलग रंगों में पाया जाता है। इसकी चमक का कांच की तरह शंखाभ होती है यह कांच को खुरच सकता है इसकी कठोरता 7 है इस का आपेक्षिक घनत्व (Relative Density) 2.65 है।

2. गुप्त किस्टलीय – जैसे ऐगेट, फ्लिंट और चाल्सीडानी

नीचे दिए हुए गुणों की सहायता से इन खनिजों को सरल से पहचाना जा सकता है। एगेट में अलग-अलग रंगों की धारियाँ पड़ी रहती हैं। फ्लिट खनिज को तोड़ने पर बहुत पतले किनारे बन जाते हैं। चाल्सीडानी को छूने पर मॉम का सा अनुभव होता है।

3. अक्रिस्टलीय – जैसे ओपल

ओपल की कठोरता अपेक्षाकृत कम (5.5 से 6.5 तक) होती है। तथा आपेक्षिक घनत्व भी 1.9 से 2.3 तक होता है। ओपल के गुणों की यह भिन्नता इस खनिज के योग में विद्यमान जल के कारण होती है। इस खनिज में जल की मात्रा अधिक से अधिक 10% तक होती है। सिलिका वर्ग के अन्य खनिजों के गुण भी क्वार्ट्ज से मिलते-जुलते हैं।

सिलिकॉन की संयोजकता कितनी होती है?

  • सिलिकॉन की संयोजकता 4 होती है।

सिलिकॉन किस काम में आता है ?

सिलिकॉन एक हद तक बिजली का संचालन करता है। किसी भी अर्धचालक सामग्री के लिए अशुद्धियों को डोपिंग कहा जाता है। कुछ अशुद्धियां एन प्रकार के सिलिकॉन का उत्पादन करती हैं, जिसमें अधिकांश चार्ज वाहक नकारात्मक रूप से चार्ज किए गए इलेक्ट्रॉन होते हैं।

मुख्य रूप से सिलिकॉन का उपयोग निम्न कार्यों में किया जाता है –

  • इलेक्ट्रॉनिक
  • व्यक्तिगत केयर उत्पाद
  • इलेक्ट्रॉनिक्स
  • विमानन
  • निर्माण और वास्तुकला
  • बर्तन
  • पेंट और कोटिंग्स
  • खेल के सामान और परिधान

सिलिकॉन कौन सी धातु है ?

सिलिकॉन एक रासायनिक तत्व है। रासायनिक सूत्र अभिव्यक्ति में इसका प्रतीक si है। जो रेत और कांच में मौजूद है, और जो इलेक्ट्रॉनिक घटकों में सबसे अच्छा ज्ञात अर्धचालक सामग्री है। इसकी परमाणु संख्या 14 है। सबसे आम समस्थानिक का परमाणु भार (Atomic Mass) 28 है।

भारत की सिलिकॉन किसे कहा जाता है ?

बेंगलुरु को भारत की आईटी राजधानी या सिलीकान वैली के रूप में जाना जाता है। यह भारत की सिलिकॉन वैली या आईटी राजधानी कैसे बना,कब बना, और किसने बनाया? आइये इस लेख के माध्यम से अध्ययन करते हैं।
बेंगलुरु जिसे आधिकारिक तौर पर बेंगलुरु के रूप में जाना जाता है।

बेंगलुरु भारतीय राज्य कर्नाटक की राजधानी है. यह दक्षिण भारत में ढक्कन पाठर पर स्थित है। इसकी ऊंचाई समुद्र तल से 900 मीटर से अधिक है। जो भारत के प्रमुख शहरों में से एक है। बेंगलुरु पूरे साल अपने जलवायु के लिए भी जाना जाता है।

आइये अब जानते हैं कि बेंगलुरु भारत की आईटी राजधानी या सिलिकॉन वैली कैसे बना?

बेंगलुरु आईटी कैपिटल से पहले देश की इलेक्ट्रॉनिक कैपिटल और उससे पहले देश का साइंस हब बना। ऐसा कहा जाता है कि लगभग 1898 में जमशेदजी टाटा ने देश में प्रगतिशील शिक्षा की नींव रखी। देश में विभिन्न प्राधिकरणों से परामर्श करने के बाद उन्होंने एक विज्ञान संस्थान की स्थापना के लिए आवश्यक योजना तैयार करने के लिए एक प्रोविजनल कमेटी का गठन किया।

जिसे भारतीय विज्ञान संस्थान का नाम दिया गया। तत्कालीन वायसराय लॉर्ड कर्जन के साथ कई चर्चाओं के बाद, रॉयल सोसाइटी ऑफ लंदन, नोबेल विजेता सर विलियम रैमसे को सहयोग देने के लिए कहा गया। देश का त्वरित दौरा करने के बाद, उन्होंने बेंगलुरु का फैसला किया। इसके पीछे मुख्य कारण था कि यहां की जलवायु, उन्हें जलवायु को सबसे उपयुक्त समझा।


बेंगलुरु जल्दी शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ना शुरू हुआ। 1970 की शुरुआत में कर्नाटक राज्य इलेक्ट्रॉनिक्स विकास निगम के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक आर के बालिगा ने एक इलेक्ट्रॉनिक शहर विकसित करने की अवधारणा का प्रस्ताव रखा था। ऐसा कहा जाता है कि इलेक्ट्रॉनिक सिटी आर के बालिगा के दिमाग की उपज है। वह भारत की सिलिकॉन वैली बेंगलुरु को बनाना चाहते थे।

समय के साथ इस शहर ने अंतरराष्ट्रीय आधारित प्रौद्योगिकियों के विकास को देखा। जिसके परिणामस्वरूप ‘डॉट कॉम बूम’ हुआ। इस समय में स्थानीय और विदेशी आईटी कंपनियों की स्थापना के साथ भारतीय तकनीकी संगठन जैसे की – इसरो,इन्फोसिस,विप्रो और एचएएल सभी का मुख्यालय भी इस शहर में है।

उपयोग –

सिलिकॉन योगिकों को, जैसे सिलिकॉन कार्बाइड को उनकी अनोखी विशेषताओं के लिए प्रयोग किया जाता है। कठोरता में यह इतना कठोर है कि, यह हीरे की बराबरी करता है। जब सिलिकॉन को अन्य तत्वों के साथ मिलाया जाता है, तो उस योगिक को सिलिकेट कहते हैं। सिलिकेट्स को अनेक औद्योगिक कार्यों के लिए प्रयोग में लाया जाता है।

इनकी अन्य रासायनिक यौगिकों के साथ क्रिया कराई जाती है, ताकि वह अपने सिलिकॉन तत्व अलग करें तथा अन्य तत्वों के साथ अनेक कार्यों के लिए क्रिया कर सकें। बिजली उपयोग के नॉन स्टिकी उपकरण और बिजली उत्पादों के शील्ड सिलिकॉन से बनाए जाते हैं। सिलिकॉन का इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्र में अत्यधिक उपयोग होने के कारण अमेरिका के कंप्यूटर जगत के केंद्र को सिलिकॉन वैली (Silicon Vally) नाम दिया गया है।

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