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पाताल भुवनेश्वर कहाँ है? । पाताल भुवनेश्वर क्यों प्रसिद्ध है?

पाताल भुवनेश्वर

ऐसा माना जाता है कि पाताल भुवनेश्वर में पूजा करने से चार धाम की यात्रा के बराबर पुन्य मिलता है। जो व्यक्ति शाश्वत शक्ति की उपस्थिति महसूस करना चाहता है वह रामगंगा, सरयू और गुप्त-गंगा के संगम के निकट स्थित पवित्र भुवनेश्वर में आना चाहिए। मानसखंड, स्कंदापुराण, जिनके 800 छंद पाताल भुवनेश्वर का उल्लेख करते हैं।

पाताल भुवनेश्वर
पाताल भुवनेश्वर

पाताल भुवनेश्वर कैसे जाएं?

सड़क मार्ग से पाताल भुवनेश्वर कैसे जाएं?

पाताल भुवनेश्वर जाने के लिए आपको ऋषिकेश से होते हुए श्रीनगर, रुद्रप्रयाग, गोचर, कर्णप्रयाग ग्वालदम, बागेश्वर होते हुए अंत में पिथौरागढ़ पहुंचना है जो कि ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक यह राष्ट्रीय राजमार्ग 07 से होकर को गुजरता है और कर्णप्रयाग से बागेश्वर तक यह राष्ट्रीय राजमार्ग 109 से होकर गुजरता है। बागेश्वर से आगे अंत में यह राष्ट्रीय राजमार्ग 309A से होकर गुजरता है।

ट्रेन मार्ग से पाताल भुवनेश्वर कैसे जाएं?

पाताल भुवनेश्वर से लगभग 192 किलोमीटर की दूरी पर काठगोदाम रेलवे स्टेशन मौजूद है जो देश के सभी प्रमुख शहरों से अच्छे से जुड़ा हुआ है। आप पाताल भुवनेश्वर के लिए सबसे पहले काठगोदाम रेलवे स्टेशन पहुंच जाइए। वहां से आगे की यात्रा लोकल गाड़ी या बस के माध्यम से कर सकते हैं।

हवाई मार्ग से पाताल भुवनेश्वर कैसे जाएं?

पाताल भुवनेश्वर से लगभग 226 किलोमीटर की दूरी पर पंतनगर हवाई अड्डा मौजूद है जो देश के सभी प्रमुख शहरों से अच्छे से जुड़ा हुआ है। आप पाताल भुवनेश्वर के लिए सबसे पहले पंतनगर हवाई अड्डा पहुंच जाइए। वहां से आगे की यात्रा लोकल गाड़ी या बस के माध्यम से कर सकते हैं।

पाताल भुवनेश्वर किस जिले में है?

पाताल भुवनेश्वर उत्तराखण्ड के पिथौरागढ़ जिले में गंगोलीहाट नगर से 14 किमी दूरी पर स्थित है। इस गुफा में धार्मिक तथा ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण कई प्राकृतिक कलाकृतियां स्थित हैं। यह गुफा भूमि से 10 फ़ीट नीचे है, तथा लगभग 160 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैला हुआ है।

पाताल भुवनेश्वर किस जगह है और क्यों प्रसिद्ध है?

पाताल भुवनेश्वर भारत के उत्तराखंड राज्य के पिथौरागढ़ जिले में गंगोलिहाट से 14 किलोमीटर दूर एक चूना पत्थर गुफा मंदिर है। पाताल भुवनेश्वर गुफा मंदिर समुद्र तल से 90 फीट नीचे है। कहा जाता है कि इस मंदिर की खोज जगदगुरु आदि शंकराचार्य ने आठवीं शताब्दी में की थी। महादेव शिव सहित 33 कोटि देवता सितारों के रूप में अंकित है स्वयं महादेव शिव पाताल भुवनेश्वर में विराजमान रहते हैं और अन्य देवी देवता उनकी स्तुति करने यहां आते हैं।

पाताल भुवनेश्वर गुफा की खोज किसने की थी?

इस गुफा की खोज राजा ऋतुपर्णा ने की थी, जो सूर्य वंश के राजा थे और त्रेता युग में अयोध्या पर शासन करते थे।[1] स्कंदपुराण में वर्णन है कि स्वयं महादेव शिव पाताल भुवनेश्वर में विराजमान रहते हैं और अन्य देवी देवता उनकी स्तुति करने यहां आते हैं।

1191 ई. में आदि शंकराचार्य ने इस गुफा को दोबारा खोजा। यह पाताल भुवनेश्वर में आधुनिक तीर्थ इतिहास की शुरुआत थी। गुफा के अन्दर शेषनाग के पत्थर के निर्माण को देखा जा सकता है। गुफा में हवन कुंड, केदारनाथ, बद्रीनाथ, माता भुवनेश्वरी, आदि गणेश, भगवान शिव की जटायें, सात कुंड, मुक्ति द्वार, धर्म द्वार व अन्य देवी देवाताओं के आकृतियों को देखा जा सकता है।

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