
मसूरी कहाँ है? मसूरी में घुमने की जगह?
उत्तराखण्ड की राजधानी देहरादून के पर्यटन स्थलों में मसूरी सबसे अधिक लोकप्रिय स्थल है। भारत में इसकी लोकप्रियता के कारण इसे “पहाड़ों की रानी” के नाम से भी पुकारा जाता है। यह समुद्र तल से लगभग 6000 फुट की ऊँचाई पर बसा हुआ कस्बा है। इसकी खोज 1825 में ब्रिटिश सैन्य अधिकारी कैप्टन यंग ने की थी तथा यहां अपना निवास स्थान बनाया तभी से यह स्थान पर्यटन स्थल के रूप में विकसित होता गया।
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यहां से हिमालय पर्वत की शिवालिक पर्वत श्रेणी के मनोहारी दृश्य दिखाई देते है। यहां से चार धाम यात्री यमुनोत्री एवं गंगोत्री धाम की यात्रा भी प्रारंभ कर सकते है। यह पहाड़ी पर्यटन स्थल प्राचीन मंदिरों, झरनों, घाटियों एवं शैक्षणिक संस्थानों के लिये प्रसिद्ध है। इस क्षेत्र में एक पहाड़ी पौधा जिसे मंसूर कहते है बहुत बड़ी मात्रा में पाया जाता है इसी पौधे के नाम पर इसका नाम मसूरी पडा। यहां से हिमालय की चमचमाती बर्फीली चोटियां तथा दून घाटी में बिखरी हुई प्राकृतिक सुन्दरता देखते ही बनती है यह स्थान देवदार के घने वृक्षों से घिरा हुआ है।
मसूरी में माँ दुर्गा का मंदिर जो कि ज्वाला देवी मंदिर के नाम से जाना जाता है यहां का सबसे प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है तथा नाग देवता मंदिर भी है जो कि नागों के भगवान के रूप में प्रसिद्ध है नाग पंचमी के दिन यहां विशाल मेला लगता है। पर्यटन की दृष्टि से यहां पर कई स्थल है जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते है।
मसूरी कैसे जाएं? | How to reach Mussoorie?
सड़क मार्ग से मसूरी कैसे पहुंचें? (By Road) –
“मसूरी ″ – मसूरी जाने के लिए आपको सबसे पहले आपको देहरादून पहुँचना होगा। यहां से आपको मसूरी के लिए टेक्सी, बस या प्राइवेट कार मिल जायेगी। आप चाहें तो यहाँ से प्राइवेट कार बुक करके भी आ सकते हैं। देहरादून से मसूरी की दूरी 32.3 किलोमीटर है, जोकि राजपुर रोड से होते हुए मसूरी रोड जाता है।
इन्हें भी पढ़ें:- देहरादून कैसे जाए? । देहरादून में घुमने के प्रमुख स्थान?
ट्रेन मार्ग से मसूरी कैसे पहुंचें? ( By Train ) –
मसूरी के सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन देहरादून (प्रिंस चौक) में स्थित है। यहां पहुँचने के बाद टैक्सी या बस की मदद से आप मसूरी पहुँच सकते हैं। जोकि देहरादून से 32.3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। अगर आपको देहरादून के लिए डायरेक्ट ट्रेन टिकिट नहीं मिलती है तो आप हरिद्वार तक ट्रेन से आ सकते है।
हवाई मार्ग से मसूरी कैसे पहुंचें? ( By Air ) –
अगर आप हवाई मार्ग से आना चाहते हो तो आप केवल जोलीग्रान्ट एयरपोर्ट आ सकते है। जोलीग्रान्ट एयरपोर्ट देहरादून में ही स्थित है। जोलीग्रान्ट एयरपोर्ट से आप गाड़ी या बस की मदद से मसूरी बहुत आसानी से पहुँच सकते हो। आप चाहें तो ऋषिकेश से बाइक या स्कूटी रेंट पर भी ले सकते हैं। जोलीग्रान्ट एयरपोर्ट से मसूरी की दूरी 59.5 किलोमीटर है। जोलीग्रान्ट एयरपोर्ट से मसूरी पहुचने में आपको कार से करीब 02 घंटे का समय लग जाता है।
मसूरी में घुमने की जगह? । Places to visit in Mussoorie?
गनहिल –
मसूरी की दूसरी सबसे ऊँची चोटी जो कि गन हिल के नाम से जानी जाती है देखने योग्य है। यहां रोप वे के द्वारा तथा पैदल मार्ग से भी पहुँचा जा सकता है। यहाँ से हिमालय पर्वत की चोटियां बन्दरपूंछ, श्रीकंठ, पीठबारा आदि का प्राकृतिक सौन्दर्य देखते ही बनता है। स्वतंत्रता प्राप्ति से पहले गन हिल पर स्थित तोप को दोपहर बारह बजे दागा जाता था ताकि लोग अपनी घड़ी में समय मिला सके इसी कारण इस चोटी का नाम गन हिल पड़ गया। यहां से देखने पर मसूरी काफी सुन्दर दिखाई देता है।

म्युनिसिपल गार्डन-
यह बगीचा कम्पनी गार्डन के रूप में भी जाना जाता है। अंग्रेजों के शासनकाल में इसे बोटेनिकल गार्डन कहा जाता था इस बगीचे के निर्माणकर्ता विश्वविख्यात भू-शास्त्री डॉ. एच. फाकनार लोगी थे। इसकी देखभाल कम्पनी के द्वारा की जाती थी। इसलिये इसका नाम कम्पनी गार्डन पड़ गया।
उत्तराखण्ड की राजधानी देहरादून के पर्यटन स्थलों में मसूरी सबसे अधिक लोकप्रिय स्थल है। भारत में इसकी लोकप्रियता के कारण इसे “पहाड़ों की रानी” के नाम से भी पुकारा जाता है। मसूरी समुद्र तल से लगभग 6000 फुट की ऊँचाई पर बसा हुआ कस्बा है। इसकी खोज 1825 में ब्रिटिश सैन्य अधिकारी कैप्टन यंग ने की थी तथा यहां अपना निवास स्थान बनाया तभी से यह स्थान पर्यटन स्थल के रूप में विकसित होता गया।

यहां से हिमालय पर्वत की शिवालिक पर्वत श्रेणी के मनोहारी दृश्य दिखाई देते है। यहां से चार धाम यात्री यमुनोत्री एवं गंगोत्री धाम की यात्रा भी प्रारंभ कर सकते है। यह पहाड़ी पर्यटन स्थल प्राचीन मंदिरों, झरनों, घाटियों एवं शैक्षणिक संस्थानों के लिये प्रसिद्ध है। इस क्षेत्र में एक पहाड़ी पौधा जिसे मंसूर कहते है बहुत बड़ी मात्रा में पाया जाता है इसी पौधे के नाम पर इसका नाम मसूरी पडा। यहां से हिमालय की चमचमाती बर्फीली चोटियां तथा दून घाटी में बिखरी हुई प्राकृतिक सुन्दरता देखते ही बनती है यह स्थान देवदार के घने वृक्षों से घिरा हुआ है।
मसूरी में माँ दुर्गा का मंदिर जो कि ज्वाला देवी मंदिर के नाम से जाना जाता है यहां का सबसे प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है तथा नाग देवता मंदिर भी है जो कि नागों के भगवान के रूप में प्रसिद्ध है नाग पंचमी के दिन यहां विशाल मेला लगता है। पर्यटन की दृष्टि से यहां पर कई स्थल है जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते है:
गनहिल –
मसूरी की दूसरी सबसे ऊँची चोटी जो कि गन हिल के नाम से जानी जाती है देखने योग्य है। यहां रोप वे के द्वारा तथा पैदल मार्ग से भी पहुँचा जा सकता है। यहाॅ से हिमालय पर्वत की चोटियां बन्दरपूंछ, श्रीकंठ, पीठबारा आदि का प्राकृतिक सौन्दर्य देखते ही बनता है। स्वतंत्रता प्राप्ति से पहले गन हिल पर स्थित तोप को दोपहर बारह बजे दागा जाता था ताकि लोग अपनी घड़ी में समय मिला सके इसी कारण इस चोटी का नाम गन हिल पड़ गया। यहां से देखने पर मसूरी काफी सुन्दर दिखाई देता है।
म्युनिसिपल गार्डन-
यह बगीचा कम्पनी गार्डन के रूप में भी जाना जाता है। अंग्रेजों के शासनकाल में इसे बोटेनिकल गार्डन कहा जाता था इस बगीचे के निर्माणकर्ता विश्वविख्यात भू-शास्त्री डॉ. एच. फाकनार लोगी थे। इसकी देखभाल कम्पनी के द्वारा की जाती थी। इसलिये इसका नाम कम्पनी गार्डन पड़ गया।
भट्टा फाल –
देहरादून से मसूरी आने वाले मार्ग पर मसूरी से ७ कि. मी. पहले यह स्थित है। बस अथवा टैक्सी द्वारा यहां पहुँचा जा सकता है किन्तु झरने तक पहुँचने के लिये लगभग तीन कि.मी. की यात्रा पैदल ही करना होती है जो पर्यटक पानी से प्रेम करते हैं उन्हें यहां बहुत आनन्द आयेगा।
कैम्पटी फाल-
मसूरी से यमुनोत्री जाने वाले मार्ग पर मसूरी से लगभग 15 कि.मी. की दूरी पर कैम्पटी फाल स्थित है यह यहां का सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थान है। यह स्थान चारों ओर से पहाड़ से घिरा हुआ है यह झरना अलग-अलग धाराओं बहता इस झरने की ऊँचाई तल से लगभग 4500 फुट होगी मसूरी सभी पर्यटन में दिन के समय सबसे अधिक भीड़ यहीं होती इसका नाम पहले टी था यहां अंग्रेज अक्सर अपनी चाय पार्टीयों का आयोजन किया करते पर्यटकों सबसे पसंदीदा स्थल है- कॅम्पटी फाल। यहां अब वे मार्ग भी बन गया है। अतः सड़क से कैम्पटी फाल तक आना जाना आसान गया है।

क्लाउड्स एण्ड मसूरी बनने वाली सर्वप्रथम इमारतों से एक इमारत यह है। इस इमारत 1838 ब्रिटिश के एक मेजर द्वारा बनवाया गया था। यह पुरानी इमारत आज एक होटल रूप में परिवर्तित चुकी जो कि क्लाउड्स एण्ड नाम जाना जाता यह होटल चारों ओर से घने पेड़-पौधों घिरा हुआ है। यहां हिमालय पर्वत बर्फ से ढकी हुई चोटियां तथा यमुना नदी का मनोरम दृश्य स्पष्ट दिखाई है अधिकांश विदेशी पर्यटक यहां ठहरना पसन्द करते हैं।
लाल टिब्बा –
यह मसूरी का सबसे ऊँचाई पर स्थित स्थल इसे बहुत से लोग डिपो हिल के नाम भी पुकारते है। भारतीय सेना एक यूनिट यहां हमेशा रहती है। इस स्थान पर एक जापानी टेलीस्कोप लगा जिसके द्वारा पर्यटक बन्दरपूंछ, केदारनाथ और ब्रदीनाथ की चोटियां देख सकते यहां पर आकाशवाणी एवं दूरदर्शन के टॉवर भी लगे हुये हैं। लाल टिब्बा को नाग चोटी के नाम से भी जाना जाता है।

इन सब स्थानों के अलावा भी मसूरी में सैर सपाटे के लिये प्रमुख है जैसे माल रोड़, बाम चेतना केन्द्र, सर जार्ज एवरेस्ट हाउस, नाग देवता मंदिर, चाइल्डर्स लॉज, कैमल बैक रोड़, झड़ी पानी, तिब्बती मंदिर आदि।

मसूरी घूमने का सबसे श्रेष्ठ समय मार्च से नवम्बर का वर्षाकाल यहां के लिये उचित नहीं है क्योंकि वर्षाकाल में परेशानियां अधिक होती वह पर्यटक जो बर्फबारी का आनंद लेना चाहते हैं उनके लिये दिसम्बर जनवरी सर्वश्रेष्ठ है। देहरादून से सड़क मार्ग द्वारा कभी भी किसी भी समय यहां आया जा सकता है।