कोशिकाएं सभी जीवित चीजों के बुनियादी निर्माण खंड हैं। कोशिकाओं में शरीर की वंशानुगत सामग्री भी होती है और वे स्वयं की प्रतियां बना सकती हैं। कोशिकाओं के कई भाग होते हैं, जिनमें से प्रत्येक का कार्य अलग-अलग होता है। इनमें से कुछ भाग, जिन्हें ऑर्गेनेल कहा जाता है, विशेष संरचनाएं हैं जो कोशिका के भीतर कुछ कार्य करती हैं।
कोशिका की परिभाषा और सिद्धांत?
परिभाषा – “कोशिका जीवों की सबसे छोटी संरचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई है। जिस प्रकार कोई घर बहुत सी ईंटो से बना होता है उसी प्रकार किसी जंतु का शरीर भी अनेक कोशिकाओं से मिलकर बना होता है“। कुछ सजीव जैसे जीवाणुओं के शरीर एक ही कोशिका से बने होते हैं।
अनेक कोशिकाओं से मिलकर ऊतक (Tissue) बनता है, अनेक ऊतकों से मिलकर अंग ( organ) बनता है और अंगो से मिलकर अंगतंत्र (organ system) और फिर शरीर का निर्माण होता है (संरचनात्मक इकाई)। शरीर की सभी जैविक क्रियाएं जैसे श्वसन( Respiration), उत्सर्जन(excretion), पाचन (Digestion ), आदि कोशिका में ही होती है (क्रियात्मक इकाई )।

कोशिका की खोज कब हुई थी?
“सबसे पहले कोशिका की खोज रॉबर्ट हुक ने 1665 में की थी। उसने पेड़ की छाल से मृत कोशिका का सरल सूक्ष्मदर्शी की सहायता से अध्ययन किया था। इस प्रकार कॉर्क कोशिका से ही सर्वप्रथम कोशिका की खोज की गई।
इसके बाद एंटोनी वोन ल्यूवेनहॉक ने 1673 में जीवित कोशिका को संयुक्त सूक्ष्मदर्शी के द्वारा देखा। उसने ही सबसे पहले संयुक्त सूक्ष्मदर्शी की खोज की थी। अतः उसने ही जीवाणु के रूप में जीवित कोशिका को देखा और उसे कोशिका की खोज का श्रेय प्राप्त हुआ। कोशिका से संबंधित विज्ञान की शाखा को कोशिका विज्ञान या Cytology कहते हैं।
कोशिका सिद्धांत क्या है?
कोशिका सिद्धांत (1838-39) – “मैथियास स्लाइडन (पादप वैज्ञानिक) तथा थियोडोर स्वान (जंतु वैज्ञानिक) द्वारा कोशिका का सिद्धांत दिया गया था“। इस सिद्धांत के अनुसार –
- किसी जीव का शरीर एक या एक से अधिक कोशिकाओं से मिलकर बना होता है।
- कोशिका शरीर में होने वाली सभी जैविक क्रियाओं की मूलभूत इकाई है।
- कोशिका अनुवांशिकी (Inheritance) की इकाई है, क्योंकि इसके केंद्रक (Nucleus) में अनुवांशिक पदार्थ (Genetic material /DNA) पाया जाता है। पर वे दोनों ये नहीं बता सके कि कोशिका का निर्माण कैसे होता है।
- इसके बाद रुडोल्फ विरचो नामक वैज्ञानिक ने कोशिका के विभाजन(Cell Division) के माध्यम से इसके निर्माण को समझाया। उसने कहा कि “प्रत्येक नई कोशिका का निर्माण उसकी पूर्ववर्ती कोशिका के विभाजन से होता है।” अर्थात OMNIS CELLULA – E – CELLULA.
कोशिकाओं की विशेषताएँ बताइए।
- कोशिकाएँ किसी जीव के लिए आवश्यक संरचनात्मक सहायता प्रदान करती हैं।
- जनन के लिए आवश्यक अनुवांशिकी सूचना केन्द्रक के भीतर मौजूद होती है।
- संरचनात्मक रूप से, कोशिका में कोशिकांग होते हैं जो कोशिका द्रव्य में निलंबित होते हैं।
- माइटोकॉन्ड्रिया कोशिका की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए जिम्मेदार अंग है।
- लाइसोसोम कोशिका में उपापचयी अपशिष्टों और विदेशी कणों को पचाते हैं।
- एंडोप्लाज्मिक रेटिकुलम चयनात्मक अणुओं को संश्लेषित करता है और उन्हें संसाधित करता है, अंततः उन्हें उनके उपयुक्त स्थानों पर निर्देशित करता है।
कोशिका विभाजन क्या है?
“कोशिका में कोशिका द्रव्य और केंद्रक पाया जाता है। कोशिका के द्रव्य मैं वृद्धि होने के कारण कोशिका दो हिस्सों में टूट कर मदर सेल तथा डॉटर सेल में विभक्त हो जाती है। इसे ही कोशिका विभाजन कहते है”।
यह मुख्यत: तीन प्रकार का होता है –
1. समसूत्री विभाजन (Mitosis) –
“इसे कायिक सूत्री विभाजन (Somatic Cell Division) भी कहा जाता है”। यह सभी प्रकार की कायिक कोशिकाओं में होता है। सूत्री विभाजन की खोज डब्लू फ्लेमिंग ने 1882 में की थी। जंतुओं तथा पौधों की वृद्धि इसी विभाजन से होती है।
इस प्रकार के विभाजन में कोशिका के केंद्रक में उपस्थित क्रोमेटिंग मटेरियल क्रोमोसोम के रूप में बराबर भागों में विभाजित होकर संतति केंद्रक बनाते हैं और कोशिका दो हिस्सों में विभक्त हो जाती है। इसमें गुणसूत्रों की संख्या में कोई परिवर्तन नहीं होता है। इस प्रकार यह प्रक्रिया तब तक निरंतर चलती रहती है, जब तक इस विभाजन की समस्त अवस्थाएं पूर्ण नहीं हो जाती। इस विभाजन को पूर्ण होने में लगभग 2 घंटे का समय लगता है। सूत्री विभाजन दो भागों में होता है। पहला कैरीओकाइनेसिस यानी केंद्रक का विभाजन और दूसरा साइटोकीनेसिस यानी कोशिका द्रव्य का विभाजन।
2. अर्धसूत्री विभाजन (Meiosis) –
मेयोसिया शब्द की खोज फॉर्मर तथा मोरे नामक वैज्ञानिकों ने 1905 में की थी। या विभाजन गुणसूत्रों की जनन कोसाओं या Gamete Formation के समय होता है। विभाजित होने वाली कोसाओं की संख्या द्विगुणित या Diploid (2n) होती है जोकि, विभाजन के पश्चात आधी या Haploid (n) रह जाती है। युग्मकों के संयोजन से बनता है जिससे उनकी संख्या फिर से द्विगुणित हो जाती है। अर्धसूत्री विभाजन दो बार होता है पहले विभाजन में गुणसूत्रों की संख्या आधी हो जाती है जबकि, दूसरा विभाजन माइटोसिस विभाजन की तरह होता है।
3. असूत्री विभाजन ( Amitosis) –
यह विभाजन निम्न श्रेणी के पौधों या एक कोशिकीय जीवों जैसे कि- कुछ शैवाल, कवक, जीवाणु ,आदि में होता है। इसमें केंद्रक की कुछ विशिष्ट अवस्थाएं नहीं बनती। इसमें विभाजन होने पर क्रोमेटिन पदार्थ दोनों कोशिकाओं में बराबर मात्रा में नहीं जा पाता है।
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