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कालीमठ मन्दिर कैसे जाएं? कालीमठ कहाँ स्थित है?

कालीमठ मन्दिर कैसे जाएं? कालीमठ कहाँ स्थित है?

कालीमठ मंदिर (रूद्रप्रयाग) समुन्द्र तल से 4799 फीट की ऊँचाई पर स्थित है, कालीमठ मंदिर गढ़वाल क्षेत्र में रुद्रप्रयाग जिले के प्रमुख पर्यटक स्थलों में से एक है और इस मंदिर को भारत के प्रमुख सिद्ध शक्ति पीठो में से एक पीठ माना जाता है। स्कन्दपुराण के अंतर्गत केदारनाथ के 62 वे अध्याय में मां काली के इस मंदिर का वर्णन है। <

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कालीमठ मन्दिर कैसे जाएं? कालीमठ कहाँ स्थित है?
कालीमठ मन्दिर कैसे जाएं? कालीमठ कहाँ स्थित है?

कालीमठ कैसे पहुंचें? । how to reach kalimath

सड़क मार्ग से कालीमठ कैसे पहुंचें? (By Road) –

“कालीमठ रूद्रप्रयाग, उत्तराखंड 246171″ – कालीमठ जाने के लिए आपको सबसे पहले ऋषिकेश या हरिद्वार पहुँचना होगा। यहां से आपको कालीमठ के लिए कार या बस मिल जायेगी। आप चाहें तो यहाँ से गाड़ी बुक करके भी आ सकते हैं। ऋषिकेश से कालीमठ की दूरी 187 किलोमीटर है और हरिद्वार से कालीमठ की दूरी 227 किलोमीटर है, जोकि राष्ट्रीय राजमार्ग NH 7 से होकर जाता है।

ट्रेन से कालीमठ कैसे पहुंचें? ( By Train ) –

कालीमठ का सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश और हरिद्वार में स्थित है यहां पहुँचने के बाद आप टैक्सी या बस की मदद से कालीमठ पहुँच सकते हैं। इन दोनों जगहों में से आपको जहां के लिए भी डायरेक्ट ट्रेन मिलती है आप वहां पहुंच जाइए। हरिद्वार से ऋषिकेश के बीच की दूरी मात्र 20 किलोमीटर है।

हवाई मार्ग से कालीमठ कैसे पहुंचें? ( By Air ) –

कालीमठ के लिए कोई हवाई अड्डा नहीं है, लेकिन अगर आप हवाई मार्ग से आना चाहते हो तो आप केवल देहरादून जोलीग्रान्ट एयरपोर्ट आ सकते हो कालीमठ के सबसे पास का हवाई अड्डा जोलीग्रान्ट देहरादून स्थित है। देहरादून से आप गाड़ी या बस की मदद से कालीमठ बहुत आसानी से पहुँच सकते हो। आप चाहें तो ऋषिकेश से बाइक या स्कूटी रेंट पर भी ले सकते हैं। जोलीग्रान्ट से कालीमठ की दूरी 198 किलोमीटर है जोकि राष्ट्रीय राजमार्ग NH 7 से होकर जाता है।

कालीमठ मन्दिर क्यों प्रसिद्ध है? । why is Kalimath famous

कहते है कि इस स्थान पर 64 योगनिया विचरण करती है मान्यता है कि इस स्थान पर शुम्भ-निशुंभ दैत्यों से परेशान देवी- देवताओं ने माँ भगवती जी की तपस्या की थी। तब माँ प्रकट होकर असुरो के आतंक के बारे में सुनकर माँ का शरीर क्रोध में काला हो गया और उन्होंने विकराल रूप धारण कर के दोनों दैत्यों का संहार कर दिया।

कालीमठ मंदिर से आठ किलोमीटर की खड़ी उचाई पर स्थित दिव्य एक चट्टान है जिसको काली शिला के रूप में माना जाता है, जंहा पर महाकाली माता के पैरों के निशान मौजूद है और कालीशिला के बारे में यह कहते है कि माँ दुर्गा ने शुम्भ-निशुम्भ और रक्तबीज दानव का वध करने के लिए कलिशिला में 12 वर्ष की बालिका के रूप में प्रकट हुई थी । कलिशिला में देवी देवता के 64 यंत्र है, माँ दुर्गा को इन्ही 64 यंत्रो से शक्ति मिली थी।

काली शिला
काली शिला कालीमठ

कालीमठ में महाकाली, श्री महालक्ष्मी और श्री महासरस्वती के तीन भव्य मंदिर है | इन मंदिरों का निर्माण उसी विधान से संपन्न हुआ है जैसा की दुर्गा सप्तशती के वैकृति रहस्य में बताया है अर्थात बीच में महालक्ष्मी, दक्षिण भाग में महाकाली और वाम भाग में महासरस्वती की पूजा होनी चाहिए । स्थानीय निवासीओं के अनुसार, यह भी किवदंती है कि माता सती ने पार्वती के रूप में दूसरा जन्म इसी शिलाखंड में लिया था।

कालीमठ मन्दिर का तापमान और ऊंचाई? | Kalimath temperature and altitude?

कालीमठ मंदिर (रूद्रप्रयाग) समुद्र तल से 4799 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। गर्मियों के समय में कालीमठ का तापमान 25 डिग्री से लेकर 30 डिग्री तक रहता है और वही जो तापमान सर्दियों में 15 डिग्री से लेकर 10 डिग्री तक चले जाता है। कालीमठ सरस्वती नदी के किनारे स्थित है। कालीमठ मन्दिर केदारनाथ मार्ग पर ही गुप्तकाशी से 12.7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

कालीमठ मन्दिर रूट मेप? । Kalimath route map

कालीमठ के लिए यहाँ से यात्रा शुरू करें – हरिद्वार » ऋषिकेश » शिवपुरी » ब्यासी » कौड़ियाला » तीनधारा » देवप्रयाग » बागवान » मलेथा » कीर्तिनगर » श्रीनगर » रूद्रप्रयाग » तिलवारा » अगस्तमुनि » चंद्रापुरी » भीरी » काकड़ागाड़ » कुंड » कालीमठ मन्दिर

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