हरिद्वार-केदारनाथ यात्रा हेतु सामान्य जानकारी
वायुमार्ग – ऋषिकेश से 17 कि०मी० की दूरी पर जौलीग्रांट हवाईअडडा है । किन्तु यहाँ से नियमित उड़ाने नहीं होती ।
रेलमार्ग – केदारनाथ से हरिद्वार रेल्वे स्टेशन 274 कि०मी० तथा कोटद्वार रेल्वे स्टेशन 260 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। यहाँ से प्रतिदिन दिल्ली तथा अन्य स्थानों के लिये रेल सेवा उपलब्ध हैं।
सड़क मार्ग – केदारनाथ (गौरीकुण्ड से) सड़क मार्ग द्वारा हरिद्वार से जुड़ा हुआ है। जो यात्री हरिद्वार से सीधे केदारनाथ धाम की यात्रा करते। हैं वह ऋषीकेश, देवप्रयाग, श्रीनगर, तिलवाड़ा, गुप्तकाशी होते हुए गौरीकुण्ड तक बस अथवा टैक्सी द्वारा यात्रा करते है। गौरीकुण्ड से केदारनाथ की 14 कि.मी. की यात्रा पैदल अथवा खच्चर से तय करना होती है।
ऊँचाई – उत्तराखण्ड क्षेत्र में हिमालय पर्वत पर केदारनाथ धाम 3581 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है।
जलवायु – अप्रैल से अगस्त तक यहाँ का मौसम दिन में सुहावना तथा रात्रि में ठण्डा रहता है। सितम्बर से नवम्बर तक दिन में ठण्डा और रात्रि में अत्याधिक सर्दी होती है। नवम्बर से मार्च तक यहाँ का तापमान शून्य डिग्री तक पहुँच जाता है। ग्रीष्म ऋतु में हल्के ऊनी तथा शीत भारी ऊनी कपड़ों का प्रयोग करना पड़ता हैं । ऋतु में
भाषा – हिन्दी और गढ़वाली भाषा का प्रयोग होता है। आवश्यकता पर कुछ व्यक्ति अंग्रेजी भाषा का भी प्रयोग करते हैं
भ्रमणकाल – मई से मध्य नवम्बर तक ।

गंगोत्री से केदारनाथ यात्रा –
उत्तराखण्ड के दूसरे तीर्थस्थल गंगोत्री जी के दर्शन करने के बाद तीर्थयात्री केदारनाथ जी के दर्शन हेतु केदारधाम की यात्रा करते है। कुछ तीर्थ यात्री समय के अभाव के कारण हरिद्वार से सीधे ही केदारधाम की यात्रा पर आते है । गंगोत्री जी से केदारधाम की यात्रा इस प्रकार की जाती है –
उत्तरकाशी – गंगोत्री से उत्तरकाशी जो कि 100 कि०मी० की दूरी – पर है गंगोत्री से तीर्थ यात्रियों को यहाँ वापस आना पड़ता है उत्तरकाशी बारणावत पर्वत की एक समतल भूमि पर भागीरथ नदी के किनारे बसा हुआ है। यह एक धार्मिक पवित्र नगर है जहाँ कई ऋषियों, सन्यासियों ने तपस्या की है।
चौरंगीखाल उत्तरकाशी से 29 कि.मी. लम्बगांव मार्ग पर चौरंगीखाल नामक स्थान है यहाँ पर बाबा चौरंगीनाथ का मन्दिर है। यहाँ से 3 कि.मी. की पैदल दूरी पर नचिकेता तालाब है जो कि एक रमणीय स्थल है। यहाँ उत्तरकाशी के स्थानीय निवासी भ्रमण के लिये आते रहते है ।
चिरबटिया – उत्तरकाशी से लम्बगांव पीपल डाली मार्ग के रास्ते 132 कि.मी. की दूरी पर घनसाली होते हुए चिरबटिया स्थित है। यहाँ बांज बुरांस के घने वन है। यह प्राकृतिक दृष्टि से अत्यन्त मनोहारी स्थल है । यहाँ शासकीय सेब का बाग तथा आलू उत्पादन का कृषि फार्म है यहाँ से के लिए एक मार्ग जाता है।
तिलवाड़ा चिरवटिया से 39 कि०मी० की दूरी पर घाटी में मंदाकिनी नदी के किनारे तिलवाड़ा स्थित है। यहाँ रहने एवं खाने की उचित व्यवस्था है तथा एक छोटा बाजार भी उपलब्ध है। अगस्तमुनि तिलवाड़ा से अगस्तमुनि से 10 कि०मी० की दूरी पर मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित है। कहते है कि यहाँ अगस्तमुनि ने तपस्या की थी। कुछ यात्री यहाँ मंदाकिनी नदी में स्नान करते है। यहाँ के हरे मैदान व प्राकृतिक सौन्दर्य देखते ही बनता है। यहाँ राजकीय महाविद्यालय, चिकित्सालय व बाजार उपलब्ध है। यहाँ अगस्तमुनि को समर्पित एक मन्दिर भी है।
गुप्तकाशी – अगस्त मुनि से 20 कि०मी० की दूरी पर गुप्तकाशी स्थित है। महाभारत युद्ध के पश्चात् जब पांडव गोत्र हत्या के पाप से मुक्त होने के लिये केदारखंड आए थे तब भगवान शंकर यहीं पर अंतर्ध्यान हो गये थे। इस कारण यहाँ का नाम गुप्तकाशी पड़ा। केदारधाम के अधिकांश पण्डे यही निवास करते हैं।
गुप्तकाशी में प्राचीन अर्द्धनारीश्वर का मन्दिर एवं विश्वनाथ मन्दिर है। यहाँ से हिमालय की चौखम्बा पर्वत चोटी काफी दूरी पर स्थित होने पर भी एकदम पास दिखाई देती है। यहाँ से 30 कि. मी. की दूरी पर पंचकेदार का प्रसिद्ध मन्दिर मद्-महेश्वर स्थित है। गुप्तकाशी से 8 कि.मी. की दूरी पर प्रसिद्ध शक्तिपीठ कालीमठ स्थित है। जहाँ तक मोटर गाड़ियां जा सकती है। फाटा – गुप्त काशी से 14 कि.मी. की दूरी पर फाटा नामक स्थान है।
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