एज कंप्यूटिंग (Edge Computing)in hindi?
कंप्यूटर टेक्नोलॉजी का नया आयाम एज कंप्यूटिंग (Edge Computing)-
आप सभी कंप्यूटर के बारे में भली-भांति जानते हैं। विज्ञान के इस युग में कंप्यूटर टेक्नोलॉजी में नित नए आयाम जुड़ते जा रहे हैं। उन नियमों में से एक नया आयाम है एज कंप्यूटिंग। एज कंप्यूटिंग दो शब्दों से मिलकर बना है। जिसमें एज अर्थात किनारा तथा कंप्यूटिंग अर्थात संगणना। क्लाउड कंप्यूटिंग के विपरीत एज कंप्यूटर के अंतर्गत जनगणना संबंधी कार्यों के लिए डाटा का संग्रह डिवाइसेज के निकट ही किया जाता है।
दूसरे शब्दों में कहें तो, यह एक नई नेटवर्किंग प्रणाली है, जिसके तहत डाटा स्रोत/सर्वर तथा डाटा प्रोसेसिंग को कंप्यूटिंग प्रक्रिया के निकट लाया जाता है ताकि, लेटेंसी और ‘बैंडविड्थ‘ की समस्या को कम किया जा सके, और किसी एप्लीकेशन की क्षमता में वृद्धि की जा सके। इसके विपरीत क्लाउड कंप्यूटर में डाटा का स्रोत मशीन से हजारों किलोमीटर दूर स्थित हो सकता है।
विगत कुछ वर्षों में वैश्विक स्तर पर एज कंप्यूटिंग के माध्यम से लाखों कंप्यूटर या अन्य मशीनों से डाटा को संचालित, प्रोसेसिंग तथा डिलीवर किया जा रहा है। एज कंप्यूटिंग का सर्वाधिक प्रयोग ‘इंटरनेट ऑफ थिंग्स‘ रियल टाइम कंप्यूटिंग आदि के लिए किया जा रहा है। पेट नेटवर्किंग तकनीकी के दौर में इस कंप्यूटिंग का प्रयोग रियल टाइम एप्लीकेशन के निर्माण तथा उनके संचालन के लिए अति आवश्यक है। इन एप्लीकेशन में वीडियो प्रोसेसिंग एवं एनालिटिक्स स्वचालित कार रोबोट एक्स कृत्रिम बुद्धिमता आदि शामिल है।
इन्हें भी पढ़ें:- डिजिटल भुगतान (Digital Payment) क्या होता है?
Cloud Computing (क्लाउड कंप्यूटिंग) –
एज कंप्यूटिंग को समझने के लिए हमें “क्लाउड कंप्यूटिंग” को समझना आवश्यक है। वर्तमान में हम क्लाउड कंप्यूटिंग के दौर से गुजर रहे हैं जहां, अधिकांश व्यक्ति किसी न किसी प्रकार से क्लाउड कंप्यूटिंग का प्रयोग करते हैं। क्लाउड कंप्यूटिंग के तहत जब कोई यूजर्स ऑनलाइन कार्यों का संपादन कर रहा होता है तब, वह सुदूर स्थित किसी डाटा सेंटर की सूचनाओं को एक्सेस करता है जिसे ‘क्लाउड‘ कहते हैं।
उदाहरण के तौर पर ऑनलाइन वीडियो या फोटो एडिटिंग सॉफ्टवेयर, एंटीवायरस एप्लीकेशन, ऑनलाइन फाइल कन्वर्टर, ई-कॉमर्स एप्लीकेशन, डाटा बैकअप और रिकवरी आदि क्लाउड कंप्यूटिंग के तहत कार्य करते हैं।
ये डाटा सेंटर (क्लाउड) पूरे विश्व में कुछ स्थानों पर स्थित है, जहां डाटा को संग्रहित तथा प्रोसेस किया जाता है। विश्व के अधिकांश डाटा सेंटर गूगल, अमेज़न, माइक्रोसॉफ्ट आदि प्रमुख तकनीकी कंपनियों द्वारा संचालित किए जाते हैं। क्लाउड कंप्यूटिंग में हमारी सूचनाएं तथा डाटा किसी स्थानीय हार्ड डिस्क या मेमोरी कार्ड आदि में संरक्षित नहीं रहता बल्कि, यह ऑनलाइन क्लाउड में संरक्षित रहता है।
इन्हें भी पढ़ें:- Who Invented The Internet in Hindi
इस प्रकार के डाटा को एक्सेस करने के लिए हमें केवल इंटरनेट कनेक्शन की आवश्यकता होती है। क्लाउड कंप्यूटिंग के तहत क्लाउड स्टोरेज शामिल होता है, जिसमें कोई व्यक्ति अपनी निजी सूचनाएं तथा डाटा जैसे फोटो वीडियो म्यूजिक डॉक्यूमेंट आदि सुरक्षित रख सकता है। गूगल ड्राइव, ड्रॉपबॉक्स आदि आईक्लाउड स्टोरेज की सुविधा प्रदान करने वाले एप्लीकेशन है। इसके अलावा क्लाउड कंप्यूटिंग में कई तरह की समस्याएं भी हैं जो कि, इस प्रकार हैं –
1.लेटेंसी (Latency) –
दूर स्थित किसी डाटा सेंटर या क्लाउड से वास्तविक समय में संपर्क कर पाने में हुई देरी को “लेटेंसी” कहते हैं।
2.अपर्याप्त बैंडविड्थ (Insufficient Bandwidth)-
उन कंपनियों में जहां एक साथ कई डिवाइसेज द्वारा किसी क्लाउड स्टोरेज में डाटा प्रेषित किया जाता है वहां, निर्धारित बैंडविथ पर अत्यधिक दबाव पड़ता है और इस वजह से उन्हें इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है। क्लाउड कंप्यूटिंग की मुख्य समस्या हाई स्पीड इंटरनेट कनेक्शन पर इसकी निर्भरता है। सुदूर स्थित क्लाउड से डाटा एक्सेस करने के लिए हाई स्पीड इंटरनेट की उपलब्धता आवश्यक होती है।
इन्हें भी पढ़ें:- इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IOT) क्या है? What is IOT in hindi?
यह भी पढ़ें : Who Invented The Internet in Hindi
एज कंप्यूटिंग के लाभ –
एज कंप्यूटिंग के अनेक लाभ हैं। एज कंप्यूटिंग के तहत डाटा सर्वर को स्थानीय स्तर पर लगाने से डाटा का संग्रह तथा उसकी प्रोसेसिंग स्थानीय स्तर पर होती है, और केवल आवश्यक डाटा को ही सुदूर स्थित क्लाउड पर भेजा जाता है। इससे जहां लेटेंसी कम होती है वही, बैंडविड्थ पर अतिरिक्त दबाव भी नहीं पड़ता। इस कंप्यूटर को ‘इंटरनेट ऑफ थिंग्स‘ आधारित मशीनों के बढ़ते प्रयोग को देखते हुए विकसित किया गया है। यह मशीनें क्लाउड से डाटा प्राप्त करने या डाटा के परीक्षण हेतु इंटरनेट पर निर्भर होती हैं। इनमें से अधिकांश अपने कार्य व कार्यान्वयन के दौरान अत्यधिक मात्रा में डाटा उत्पन्न करती हैं।
उदाहरण के तौर पर किसी फैक्ट्री में स्थापित कोई डिवाइस या कैमरा जो सुदूर स्थित किसी ऑफिस में डाटा संप्रेषित कर रहा हो, वहां इस कंप्यूटिंग उपयोगी हो सकता है क्योंकि, किसी एक डिवाइस से डाटा संप्रेषित करना आसान होता है। लेकिन, यदि किसी एक समय में किसी डिवाइसेज एक साथ डेटा संप्रेषित कर रहे हैं, तो इससे न केवल संप्रेषित डेटा की गुणवत्ता प्रवाहित होती है बल्कि, लेटेंसी की समस्या भी उत्पन्न होती है और प्रयोग किए गए बैंडविथ की कीमत भी अत्यधिक होती है। एज कंप्यूटिंग द्वारा स्थानीय स्तर पर डाटा की प्रोसेसिंग तथा संग्रह से इन समस्याओं को हल किया जा सकता है। इन एज डिवाइसेज में विभिन्न मशीनें शामिल हो सकती हैं जैसे- आईटी सेंटर, लैपटॉप, स्मार्टफोन, सीसीटीवी कैमरा, इंटरनेट से संचालित माइक्रोओवन, टोस्टर इत्यादि।
इन्हें भी पढ़ें:- Pradhan Mantri Kusum Yojana (PMKY) 2022
एज कंप्यूटिंग के नुकसान –
कई कंपनियों के लिए क्लाउड कंप्यूटिंग का प्रयोग महंगा साबित होता है क्योंकि, अत्यधिक मात्रा में डेटा संग्रह और बैंडविडथ के प्रयोग से इसकी लागत बढ़ जाती है। एज कंप्यूटिंग इस मामले में एक बेहतर विकल्प हो सकता है। एज कंप्यूटिंग का सर्वाधिक लाभ यह है कि, यह डाटा की प्रोसेसिंग तथा संग्रह तीव्रता से कर सकता है, जिससे यूजर के लिए आवश्यक रियल टाइम एप्लीकेशन की दक्षता को बढ़ाया जा सके।
उदाहरण के लिए किसी व्यक्ति के चेहरे की पहचान करने वाला स्मार्टफोन क्लाउड कंप्यूटिंग के अंतर्गत “फेशियल रिकॉग्निशन एल्गोरिथ्म” हेतु क्लाउड आधारित सेवा का उपयोग करता है। जिसमें अधिक समय लगता है। लेकिन एज कंप्यूटिंग के प्रयोग से यह स्मार्टफोन स्वयं में उपस्थित या किसी स्थानीय सरवर के प्रयोग से उस एल्गोरिदम का प्रयोग कर बिना देर किए व्यक्ति की पहचान कर सकता है। एज कंप्यूटिंग के प्रयोग से स्वचालित कारें, स्वचालित निर्माण प्रणाली तथा स्मार्ट सिटी जैसी महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में मदद मिलेगी।
एज कंप्यूटिंग को बढ़ावा देने के लिए कई कंपनियां आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की बढ़ती मांग को देखते हुए छोटे चिप के आकार के डिवाइसेज एवं मॉड्यूल का निर्माण कर रही हैं, जिनका प्रयोग ड्रोन रोबोट से या अन्य चिकित्सीय यंत्रों में किया जा सकता है। इसके प्रयोग से इन मशीनों को डाटा प्रोसेसिंग के लिए किसी क्लाउड की आवश्यकता नहीं होगी बल्कि, इमेज डिवाइसों के माध्यम से स्थानीय स्तर पर ही डाटा को प्रोसेसिंग तथा उसका संग्रह किया जा सकता है। मोबाइल क्षेत्र में 5G तकनीकी आने के बाद अनुमान लगाया जा रहा है कि, इससे एज कंप्यूटिंग के क्षेत्र में तीव्र प्रगति होगी तथा ऑटोमेशन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस रियल टाइम प्रोसेसिंग के लिए अनुकूल माहौल मिलेगा।
इन्हें भी पढ़ें:- Aadhar card pdf download Kaise kare?
यह भी पढ़ें : ई श्रम-कार्ड के फ़ायदे नुक्सान
Recommended
-
Who Invented The Internet in Hindi
-
वर्ल्ड वाइड वेब WWW क्या है? – What is World Wide Web in Hindi?
-
uidai E-Learning Portal 2022
-
आयुष्मान भारत मिशन क्या है? एबीडीएम (ABDM) के उद्देश्य?
-
E-shram card ke fayde our nuksaan
-
ई-सिम क्या है? | ई-सिम कैसे लें? | e-sim kya hai?
-
Pradhan Mantri Kusum Yojana (PMKY) 2022
-
What is Internet Banking in Hindi
How is the COVID situation over there?
fine, and thanks for commenting